शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थानों में बरकरार है अन्य संस्थानों का कब्जा, जांच में आई निकल कर बात
शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थानों में बरकरार है अन्य संस्थानों का कब्जा, जांच में आई निकल कर बात
प्रयागराज : एजूकेशन हब कहे जाने वाले प्रयागराज के शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थानों में अन्य संस्थानों का कब्जा है। उनमें से कुछ संस्थानों का अपना भव्य परिसर भी तैयार है लेकिन, उनका कब्जा दूसरे संस्थानों पर अब तक बरकरार है। अब मुहिम चलाकर उन्हें खाली कराने की तैयारी है। इनमें से अधिकांश संस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद यानी एससीईआरटी के तहत आते हैं। ऐसे सभी संस्थानों का खाका खींचा गया है, महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद से अनुमोदन मिलने के बाद कार्रवाई होगी।
असल में, महानिदेशक स्कूल शिक्षा प्रयागराज मुख्यालय पर स्थित बेसिक शिक्षा के सभी कार्यालयों की पड़ताल करा रहे हैं। विशेष सचिव बेसिक शिक्षा सत्येंद्र कुमार व अपर शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा लखनऊ सुत्ता सिंह की अगुवाई में पड़ताल शुक्रवार को दूसरे दिन भी जारी रही। शहर के मनोविज्ञानशाला में इस संबंध में बैठक हुई। इसमें सामने आया कि आंग्ल भाषा शिक्षा संस्थान उप्र के हॉस्टल के कुछ हिस्से को माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र ने उस समय लिया था, जब उसके पास भवन आदि नहीं था। भव्य होने के बाद भी उसका कब्जा हॉस्टल पर अब तक बना है।
इसी तरह से सीपीआई के भवन में राज्य विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है, जबकि नैनी में उसका भवन बन चुका है। परिसर में दूसरे संस्थानों के संचालन से प्रशिक्षण आदि में दिक्कत आ रही है। ऐसे ही राजकीय शिशु प्रशिक्षण महिला महाविद्यालय के परिसर में शिक्षा प्रसार का सामान वर्षो से बंद है। वहीं, स्वरूपरानी अस्पताल के बगल में स्थित भवन का भी हाल है। इसमें तय किया गया कि इन संस्थानों को खाली कराया जाएगा। इसके लिए कमेटियां गठित की जाएंगी वे संबंधित संस्थानों से वार्ता करेंगे। बैठक में प्रयागराज के सभी संस्थानों के प्रमुख उपस्थित रहे और उन्होंने पूरा हाल बयां किया। अब पर्यवेक्षण टीम अपनी रिपोर्ट महानिदेशक को सौंपेगी और वहां से निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यहां वरिष्ठ विशेषज्ञ राजेंद्र प्रसाद, विशेषज्ञ संजय शुक्ला, अवर अभियंता मनीष मिश्र व एसएन झा और अंकित जैन आदि थे।
शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थानों में बरकरार है अन्य संस्थानों का कब्जा, जांच में आई निकल कर बात
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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8:24 AM
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