क्या देरी से भरा गया विकल्प स्वीकार्य किये जाने योग्य नहीं है? ग्रेच्युटी देने से मना करने पर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से किया जवाब तलब, देखें आदेश
क्या देरी से भरा गया विकल्प स्वीकार्य किये जाने योग्य नहीं है? ग्रेच्युटी देने से मना करने पर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से किया जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि प्रथमदृष्टया सेवानिवृत्ति से एक साल पहले विकल्प भरने में देरी के कारण कर्मचारी को उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है और यह स्पष्ट करने को है कि क्या याची का देरी से भरा गया विकल्प स्वीकार्य किये जाने योग्य है या नहीं। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने मोहर पाल सिंह की विशेष अपील पर दिया है।
अपील का स्थायी अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाहा ने विरोध किया। अपीलार्थी प्राइमरी स्कूल मोइद्दीनपुर एटा का प्रधानाध्यापक था। उसने ग्रेच्युटी का विकल्प दिया लेकिन विकल्प सेवानिवृत्ति आयु से एक साल पहले नहीं दे सका। उसने छह महीने पहले दिया। इस कारण उसे ग्रेच्युटी देने से इनकार कर दिया गया। याचिका भी खारिज हो गई तो यह विशेष अपील दाखिल की गई। अपीलार्थी का कहना है कि ऐसे ही दामोदर मथपाल केस में सुप्रीम कोर्ट कहा है कि सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष देने का विकल्प न देने से ग्रेच्युटी पाने के अधिकार समाप्त नहीं होते।
10 जून 2002 के शासनादेश में कहा गया है कि 60 साल की सेवानिवृत्ति आयु से एक साल पहले ग्रेच्युटी का विकल्प दिया जाना है। याची ने तीन माह पहले विकल्प दिया है। जिन्हें दो साल सेवा विस्तार दिया गया है, वे ग्रेच्युटी पाने के हकदार नहीं हैं। इसलिए 60 साल में सेवानिवृत्ति का विकल्प देने की व्यवस्था की गई है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर पूछा है कि क्या विकल्प देने में देरी से ग्रेच्युटी पाने के अधिकार छीने जा सकते हैं?
हाईकोर्ट आर्डर 👇
क्या देरी से भरा गया विकल्प स्वीकार्य किये जाने योग्य नहीं है? ग्रेच्युटी देने से मना करने पर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से किया जवाब तलब, देखें आदेश
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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6:18 AM
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