साक्षर भारत योजनान्तर्गत कार्यरत रहे शिक्षा प्रेरकों के कार्यों के सत्यापन के संबंध में

दस दिन में मांगा गया शिक्षा प्रेरकों के कार्यों का ब्योरा

प्रयागराज। लंबे समय से मानदेय का इंतजार कर रहे शिक्षा प्रेरकों की उम्मीदें बढ़ने लगी हैं। मामले में कोर्ट की दखल के बाद निदेशक साक्षरता, वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू एवं प्राच्य भाषाओं की तरफ से सभी जिलों के डीआईओएस और डायट प्राचार्य से शिक्षा प्रेरकों के द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी मांगी गई है।

साक्षर भारत योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर बनाए गए लोक शिक्षा केंद्रों पर कार्यरत शिक्षा प्रेरकों ने विभिन्न प्रकार के कार्य किए, लेकिन लंबे समय से उनका मानदेय नहीं दिया गया है। इसे लेकर शिक्षा प्रेरकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।

इसके बाद शिक्षा प्रेरकों द्वारा योजना के दौरान किए गए कार्यों का स्थलीय सत्यापन करके उसकी रिपोर्ट दस दिनों में मांगी गई है। निदेशक साक्षरता, वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू एवं प्राच्य भाषाएं गणेश कुमार की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया है कि दस दिनों के अंदर शिक्षा प्रेरकों द्वारा किए गए कार्यों का ग्राम पंचायत स्तर पर सत्यापन करके उसकी सूचना दिए गए प्रारूप में उपलब्ध कराएं।

ऐसा नहीं करने पर किसी भी प्रकार की परिस्थिति उत्पन्न होने पर उसकी जिम्मेदारी संबंधित डीआईओएस या प्राचार्य डायट की होगी। 


शिक्षा प्रेरकों के कार्यों का होगा सत्यापन,  शासन ने बीएसए से सत्यापन की मांगी रिपोर्ट


साक्षर भारत मिशन के तहत लोक शिक्षा केंद्रों पर कार्यरत शिक्षा प्रेरकों के कार्यों का सत्यापन होगा। सत्यापन के बाद बकाया मानदेय दिया जाएगा। शासन ने बीएसए से 10 दिन के अंदर रिपोर्ट तलब की है।

साक्षर भारत मिशन के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक लोक शिक्षा केंद्र की स्थापना की गई थी। प्रत्येक केंद्र पर दो प्रेरक नियुक्त किए गए थे। यह प्रेरक 15 साल से ऊपर के निरक्षरों को साक्षर बनाने में भूमिका निभा रहे थे। उन्हें महज दो हजार रुपये मानदेय मिलता था। लेकिन शासन ने यह योजना करीब पांच साल पहले बंद कर दी थी।

योजना बंद होने के समय प्रेरकों का करीब दो साल का मानदेय बकाया रह गया था। वह कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। अब तक मानदेय नहीं मिल सका है। अब यह न्यायालय की शरण में चले गए हैं। अब शासन ने बीएसए से सत्यापन रिपोर्ट तलब की है।



साक्षर भारत योजनान्तर्गत कार्यरत रहे शिक्षा प्रेरकों के कार्यों के सत्यापन के संबंध में।





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