राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, उ०प्र० द्वारा 10 बैगलेस दिवसों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विकसित मार्गदर्शिका 'आनंदम' के संबंध में आदेश और निर्देशिका देखें
पूरे सत्र में दस दिन बिना बैग के स्कूल जाएंगे कक्षा छह से आठ तक के बच्चे
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में व्यवस्था लागू, गतिविधियों के जरिये बच्चों का होगा कौशल विकास
बैगलेस दिवस के तय दिन
नवंबर का तीसरा व चौथा शनिवार, दिसंबर में पहला, दूसरा, तीसरा व चौथा शनिवार, जनवरी में तीसरे व चौथे शनिवार, फरवरी में पहला व दूसरा शनिवार ।
👉 "आनंदम" कार्यक्रम की निर्देशिका यहाँ से करें डाउनलोड
लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कक्षा छह से आठ तक के बच्चे पूरे सत्र में निर्धारित दस दिन बिना बैग के स्कूल जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत शनिवार से शुरू हुई इस व्यवस्था का उद्देश्य बच्चों में किताबों के दबाव को कम कर खेलकूद व अन्य गतिविधियों के माध्यम से कौशल विकास करना है। जहां यह व्यवस्था नहीं शुरू हो सकी है वहां अगले शनिवार से शुरू होगी।
बैगलेस दस दिनों में बच्चों के बहुमुखी विकास से जुड़े कार्यक्रम आयोजित होंगे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने बताया कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा परिषदीय उच्च प्राथमिक, कंपोजिट व केजीबीवी के बच्चों के लिए आनंदम मार्गदर्शिका विकसित की गई है। इसके जरिये विद्यार्थियों को आनंदमय वातावरण में सीखने का अनुभव देने, विद्यार्थियों को व्यावहारिक व अनुभव वाली शिक्षा देने, समग्र शिक्षा पर जोर, उनकी सीखने की क्षमता को बढ़ाने का प्रयास होगा। साथ ही कौशल आधारित गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा, समुदाय के साथ जुड़ने, स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों व स्थानीय व्यवसाय की समझ विकसित की जाएगी।
बैगलेस डे से सात मकसद पूरे होंगे, परिषदीय स्कूलों के बच्चों के साथ अभिभावकों की भी होगी भागीदारी
लखनऊ । बैगलेस डे के माध्यम से सात उद्देश्यों की पूर्ति की जाएगी। इसमें आनंदमय वातावरण में विद्यार्थियों को सीखने का अनुभव प्रदान करना होगा। अनुभवात्मक शिक्षा के तहत विद्यार्थियों को व्यावहारिक व अनुभवजन्य शिक्षा दी जाएगी, शिक्षा के समग्र और समावेशी विकास पर बल दिया जाएगा। सामुदायिक जुड़ाव के तहत समाज से जुड़ने और पारस्परिक निर्भरता की भावना विकसित होगी। व्यावसायिक उन्मुखीकरण के तहत स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों व स्थानीय व्यावसायों की समझ विकसित की जाएगी, जिससे वह भविष्य की चुनौतियों से आसानी से निपट सकें। ऐसे विद्यालय जो इस शनिवार को जानकारी के आभाव में बैगलेस डे नहीं आयोजित कर पाए हैं, वह जारी कैलेंडर के अलावा आगे के शनिवार में इसे समायोजित करेंगे।
आनंदम में 34 विषय व गतिविधियांः प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए तैयार की गई मार्गदर्शिका आनंदम में 34 विषय और गतिविधियां शामिल हैं। मार्गदर्शिका के अनुसार ही कार्यक्रम होंगे और इन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें पहला विज्ञान, पर्यावरण व प्रौद्योगिकी, दूसरा सार्वजनिक कार्यालय, स्थानीय उद्योग व व्यावसाय और तीसरा कला, संस्कृति व इतिहास।
अभिभावकों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। बैगलेस डे वाले दिन उन्हें आमंत्रित कर बताया जाएगा कि पढ़ाई के साथ-साथ किस तरह उन्हें अपने बच्चों के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करना है। उन्हें इसके लिए जागरूक किया जाएगा।
बेसिक स्कूलों में साल के 10 दिन बिना बस्ते के 'आनंदम ही आनंदम', खेल, क्विज और एक्सपोजर विजिट के जरिए सीखेंगे बच्चे
लखनऊ : बेसिक स्कूलों के बच्चों को साल में 10 दिन बस्ता नहीं ले जाना होगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों में 'बैगलेस डे' व्यवस्था लागू कर दी है। इन 10 दिनों में खेल, क्विज और एक्सपोजर विजिट जैसी गतिविधियों के जरिए बच्चों को सिखाया जाएगा। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद (SCERT) ने स्कूलों के लिए एक रेफरेंस बुक जारी की है। 'आनंदम' नाम की इस किताब में पूरी जानकारी दी गई है कि 'बैगलेस' दिनों में बच्चों को कैसे और क्या सिखाएं?
नई शिक्षा नीति में बच्चों को व्यावसायिक विषयों की जानकारी देने, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन महत्व के स्मारकों के प्रति जागरूक करने की बात कही गई है। उसी के तहत बच्चों के सर्वागीण विकास को ध्यान में रखते हुए 'बैगलेस डे' की व्यवस्था लागू की गई है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने इसका आदेश जारी कर दिया है। आदेश में SCERT की रेफरेंस बुक आनंदम के बारे में भी बताया गया है।
यह बुकलेट सभी स्कूलों को भेजी जाएगी। मकसद यह है कि बच्चों को आनंदमय वातावरण में सीखने का अवसर दिया जाएगा। विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक विकास के साथ ही उनमें निष्पक्ष विश्लेषण और मूल्यांकन की समझ विकसित होगी। विद्यार्थियों में स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों, स्थानीय व्यवसायों की समझ विकसित की जाएगी। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सार्वजनिक कार्यालय, स्थानीय उद्योग, कला, संस्कृति और इतिहास की गतिविधियों को व्यावहारिक ढंग से सिखाया जाएगा।
तय किए दिन
नई व्यवस्था इसी सत्र से लागू कर दी गई है। दिन भी निश्चित कर दिए गए है। नवंबर में तीसरा और चौथा शनिवार, दिसंबर में चार शनिवार, जनवरी में तीसरा और चौथा शनिवार, फरवरी में पहला और दूसरा शनिवार 'बैगलेस डे' होगा। आदेश में कहा गया है कि इस पर होने वाले खर्च के लिए आर्थिक खर्च कंपोजिट ग्रांट और टीचिंग लर्निंग मटीरियल (TLM) ग्रांट का उपयोग किया जा सकेगा। स्कूल के प्रधानाध्यापक यह व्यवस्था करेंगे। सभी ब्लॉक एजुकेशन अफसर (BEO) इस व्यवस्था को लागू करने के लिए शिक्षकों के साथ बैठकें करेंगे और इसकी जानकारी देंगे।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, उ०प्र० द्वारा 10 बैगलेस दिवसों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विकसित मार्गदर्शिका 'आनंदम' के संबंध में आदेश और निर्देशिका देखें
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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7:12 AM
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