यू-डायस+ पोर्टल के माध्यम से आटोमेटेड परमानेन्ट एकेडमिक एकाउन्ट रजिस्ट्री (APAAR) आई0डी0 सृजन किये जाने के सम्बन्ध में
एक ही यूनिक नंबर से जुड़ेगा विद्यार्थियों का रिकार्ड
लखनऊः प्रदेश के सभी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की अपार (आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री) आइडी बनाने की प्रक्रिया अब तेज की जा रही है। स्कूल शिक्षा महानिदेशक मोनिका रानी ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिया है कि जिन बच्चों की अपार आइडी अभी तक नहीं बनी है, उनके अभिभावकों से सहमति पत्र लेकर यह काम जल्द से जल्द पूरा कराएं।
अपार आइडी हर बच्चे को मिलने वाला 12 अंकों का एक यूनिक नंबर है। इस नंबर से बच्चे की पूरी शैक्षिक यात्रा जैसे पढ़ाई का रिकार्ड, उपलब्धियां, अंकपत्र और प्रमाणपत्र अपने आप उसके प्रोफाइल में सुरक्षित रहेंगे। यह व्यवस्था आउट आफ स्कूल बच्चों की पहचान करने और उन्हें दोबारा स्कूल से जोड़ने में भी बहुत उपयोगी होगी। 21 नवंबर को यू-डायस पोर्टल से मिली रिपोर्ट में पता चला कि कई जिलों में अपार आइडी बनाने का काम अधूरा है।
इससे पहले भी चार बार इस बारे में विस्तृत निर्देश भेजे जा चुके हैं लेकिन कई स्कूलों ने अभी तक लंबित छात्रों का डेटा अपडेट नहीं किया है। निर्देश में कहा गया है कि अपार आइडी का निर्माण यू-डायस पोर्टल के माध्यम से ही किया जाएगा। सभी स्कूल लंबित छात्रों का डेटा तुरंत पोर्टल पर अपडेट करें। अभिभावकों से सहमति पत्र लेकर स्कूल में सुरक्षित रखा जाए। डिजिलाकर के माध्यम से सभी शैक्षिक दस्तावेज वेरिफाइएबल क्रेडेंशियल के रूप में उपलब्ध रहेंगे, जिससे छात्रों को कागजों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसके बनने से हर बच्चे का शैक्षिक रिकार्ड सुरक्षित और हमेशा उपलब्ध रहे।
अब भी 45 फीसदी छात्रों की नहीं बनी अपार आईडी, राज्य परियोजना निदेशालय ने तेजी लाने के दिए निर्देश
लखनऊ। प्रदेश में लंबे समय से चल रही कवायद के बीच स्कूली छात्रों के ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है। अभी 45 फीसदी छात्रों की अपार आईडी नहीं बनी है। राज्य परियोजना निदेशालय ने सभी संबंधित को इसमें गति लाने के निर्देश दिए हैं।
परियोजना निदेशालय ने कहा है कि अपार आईडी से छात्रों की शैक्षिक प्रगति व उपलब्धि को ट्रैक करने में काफी आसानी होगी। इसके तहत बच्चों के लिए 12 अंकों का एक यूनिक नंबर जारी किया जाता है। यूडायस पोर्टल से मिली जानकारी में इसमें और तेजी लाने की जरूरत है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने कहा है कि इससे आउट ऑफ स्कूल बच्चों का चिह्नीकरण किया जा सकेगा।
डिजीलॉकर की सहायता से सभी अकादमिक अभिलेख को वेरिफाइएबल क्रेडेंशियल के रूप में मिल जाएंगे। उन्होंने कहा है कि यह व्यवस्था ड्रॉप आउट रेट को कम करने में भी सहायक होगी। जो बच्चे हर साल ड्रॉप आउट होंगे उनको फिर से पढ़ाई से जोड़ा जाएगा।
उन्होंने सभी डीआईओएस, बीएसए, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व जिला समाज कल्याण अधिकारी को भी पत्र भेजकर उनके यहां पढ़ रहे छात्रों की शत-प्रतिशत अपार आईडी बनवाने के निर्देश दिए हैं।
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Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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