प्रदेश के 18381 स्कूलों की स्मार्ट कक्षाओं में सिर्फ 4641 क्रियाशील, DGSE की समीक्षा में आए चौकाने वाले आंकड़े
प्रदेश के 18381 स्कूलों की स्मार्ट कक्षाओं में सिर्फ 4641 क्रियाशील, DGSE की समीक्षा में आए चौकाने वाले आंकड़े
प्रयागराज के 281 स्कूलों में से 154 जगहों पर स्मार्ट क्लास का प्रयोग हो रहा
समीक्षा में पता चला कौशांबी में 80, प्रतापगढ़ में 49 स्कूलों के उपकरण क्रियाशील
प्रयागराज । प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में छात्र छात्राओं को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था हो रही है। इसमें स्मार्ट टीवी, डिजिटल लर्निंग उपकरण, वाई फाई और पावर बैकअप जैसे संसाधन स्कूलों को दिए जा रहे हैं। इन कक्षाओं में शिक्षकों को वीडियो, एनिमेशन और इंटरैक्टिव कंटेंट के माध्यम से शिक्षण कराना है, जिससे शिक्षण रोचक और प्रभावी बने। वर्तमान सत्र में प्रदेश के 18381 स्कूलों को यह व्यवस्था मिली है। ये कितने क्रियाशील हैं, इसकी समीक्षा स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने की तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए। मात्र 25 प्रतिशत अर्थात 4641 स्कूलों में स्मार्ट क्लास का प्रयोग हो रहा है।
सहारनपुर में 246 और हापुड़ में 89 स्कूलों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई है लेकिन यहां एक भी विद्यालय में इन संसाधनों का प्रयोग नहीं हो रहा है। इसी तरह बिजनौर में 264, मथुरा में 170, मुजफ्फरनगर में 159 स्कूलों को स्मार्ट क्लास के संसाधन प्राप्त हैं। यहां मात्र एक एक विद्यालय में शिक्षक इनका प्रयोग कर रहे हैं। शाहजहांपुर में 503 स्कूलों में से मात्र तीन में स्मार्ट क्लास सक्रिय हैं। बुलंदशहर में 261, मोरादाबाद में 214, संभल में 205, भदोही में 151, अमरोहा में 142 स्कूलों को स्मार्टक्लास मिले हैं लेकिन इनमें से सिर्फ दो दो स्कूलों में ये क्रियाशील हैं। स्कूल शिक्षा महानिदेशक की समीक्षा में सब से अच्छी स्थिति गोरखपुर की बताई गई। यहां 284 स्कूलों में से 178 स्मार्ट कक्षाएं क्रियाशील हैं।
अंबेडकर नगर में 225 में से 135, चंदौली में 262 में से 157, महाराजगंज में 314 में से 184, मऊ में 192 में से 112, वाराणसी में 132 में से 77, प्रयागराज के 281 स्कूलों में से 154 जगहों पर स्मार्ट क्लास का प्रयोग हो रहा है। इसी मंडल के जिले कौशांबी में 248 स्कूलों में से 80, फतेहपुर में 236 में से 78, प्रतापगढ़ में 183 में से 49 स्कूलों के विद्यार्थी स्मार्ट क्लास का लाभ प्राप्त कर पा रहे हैं। लखनऊ में वर्तमान सत्र में 258 स्कूलों को स्मार्ट क्लास दिए गए लेकिन वहां भी सिर्फ 83 स्कूलों में स्मार्ट क्लास क्रियाशील हैं।
बीएसए अनिल कुमार मानते हैं कि स्मार्ट क्लास समय की मांग है। इसका प्रयोग कर बच्चों को विषयवस्तु से आसानी से जोड़ा जा सकता है। प्रयास होगा कि अधिक से अधिक स्कूलों को यह सुविधा दी जाए। जहां स्मार्ट क्लास लग चुके हैं उन्हें क्रियाशील कराया जाएगा। यदि उनमें कुछ गड़बड़ी है तो कार्यदायी संस्था या फिर अन्य संसाधनों का प्रयोग कर बच्चों को व्यवस्था से जोड़ा जाएगा।
स्मार्ट क्लास की विशेषताएं
जिन स्कूलों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था दी गई है वहां स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर, इंटरेक्टिव डिस्प्ले और कंप्यूटर जैसे उपकरण लगाए गए है। सभी जगहों पर इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी व्यवस्था है। इसके तहत वाई-फाई लगाए गए है। इसकी मदद से बच्चों तक आनलाइन सामग्री पहुंचाने का प्रयास है। पावर बैकअप की भी व्यवस्था की गई है। कक्षा शिक्षण में शिक्षकों को डिजिटल सामग्री जैसे एनिमेशन, वीडियो और इंटरैक्टिव क्विज़ का प्रयोग करना है। इससे बच्चों को सीखने का वातावरण मिलता है। यह व्यवस्था परंपरागत तरीकों की तुलना में शिक्षण को प्रभावी बनाती है। ग्रामीण और शहरी बच्चों को समान अवसर देने का भी लक्ष्य है।
प्रदेश के 18381 स्कूलों की स्मार्ट कक्षाओं में सिर्फ 4641 क्रियाशील, DGSE की समीक्षा में आए चौकाने वाले आंकड़े
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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6:22 AM
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