बीएलएड व डीएड योग्यताधारी बन सकेंगे शिक्षक, नियमावली में संशोधन करेगी राज्य सरकार, सत्रंत लाभ की व्यवस्था में भी बदलाव होगा नियमावली में दर्ज
लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में अब बैचलर इन एलिमेंट्री एजुकेशन (बीएलएड) और डिप्लोमा इन एजुकेशन (विशेष शिक्षा) की शैक्षिक योग्यता रखने वाले भी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बन सकेंगे। इसके लिए राज्य सरकार बेसिक शिक्षक अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन करेगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यता में बीएलएड और डीएड (विशेष शिक्षा) को भी शामिल किया है। वहीं परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति उप्र बेसिक शिक्षा अध्यापक (सेवा) नियमावली, 1981 के तहत की जाती है। नियमावली में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बीएलएड और डीएड शामिल नहीं हैं।
शासन ने दिसंबर 2015 में प्राथमिक शिक्षकों के 15 हजार पदों के लिए भर्ती शुरू की तो उसमें बीएलएड और डीएड अर्हताधारी अभ्यर्थियों को मौका नहीं दिया गया। बीएलएड और डीएड अर्हताधारी अभ्यर्थी इसके खिलाफ हाई कोर्ट में गए। हाई कोर्ट ने सरकार को बीएलएड और डीएड अभ्यर्थियों को 15 हजर शिक्षकों की भर्ती में मौका देने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन वहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी। लिहाजा सरकार को अप्रैल 2015 में शासनादेश जारी कर डीएड (विशेष शिक्षा) और नवंबर 2015 में बीएलएड अर्हताधारी अभ्यर्थियों को मौका देना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में इन शैक्षिक योग्यताओं को शामिल करने के लिए नियमावली में संशोधन करने का भी निर्देश दिया था। इसलिए सरकार अब नियमावली में इस आशय का संशोधन करने जा रही है। नियमावली में संशोधन के जरिये सरकार परिषदीय शिक्षकों को दिये जाने वाले सत्रंत लाभ की व्यवस्था में भी बदलाव करने जा रही है। पहले बेसिक शिक्षा परिषद का शैक्षिक सत्र पहली जुलाई से 30 जून तक चलता था। तब जिन शिक्षकों की जन्मतिथि पहली जुलाई के बाद होती थी, यदि वे सत्र के बीच में सेवानिवृत्ति की आयु पूरी करते थे, तो उन्हें सत्रंत लाभ देते हुए 30 जून को रिटायर किया जाता था। पिछले साल से बेसिक शिक्षा परिषद का सत्र पहली अप्रैल से 31 मार्च तक कर दिया गया है।
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