बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले सर्वाधिक बच्चे मुस्लिम-ओबीसी, राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान के सर्वे में खुलासा, चार जिलों में तीन से पांच साल तक किया सर्वेक्षण
इलाहाबाद : बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों में सबसे अधिक अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) एलनगंज की ओर से प्रदेश के चार जिलों वाराणसी, ललितपुर, बाराबंकी और बदायूं में कराए गए सर्वे के अनुसार बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले सर्वाधिक बच्चे ओबीसी के जबकि सबसे कम सामान्य वर्ग के हैं।
सीमैट ने 2009-10 शैक्षिक सत्र से इन जिलों के 48 परिषदीय प्राइमरी, 24 एडेड प्राइमरी व 12 मदरसा (कक्षा 1 से 5) में पढ़ने वाले 3292 बच्चों जबकि 2011-12 सत्र से 24 सरकारी जूनियर हाईस्कूल, 12 एडेड जूनियर और 12 मदरसा (कक्षा 6 से 8) में पढ़ने वाले 1995 बच्चों पर तीन साल तक अध्ययन किया।कक्षा एक से पांच तक स्कूलों का पांच साल तक अध्ययन करने के बाद जो तस्वीर उभरकर सामने आई उसके अनुसार कुल 178 बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी। स्कूलों में पंजीकृत ओबीसी के सर्वाधिक 11.3 प्रतिशत, अल्पसंख्यक 10.7 प्रतिशत, एससी 5.2 और सामान्य के 1.6 फीसदी बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी। इसी प्रकार कक्षा 6 से 8 में 56 बच्चों ने दोबारा स्कूल की ओर रुख नहीं किया।
जूनियर हाईस्कूलों में पंजीकृत कुल छात्र-छात्रओं में 4 प्रतिशत अल्पसंख्यक, ओबीसी के 3.1 फीसदी, एससी दशमलव सात और सामान्य वर्ग के 1.7 प्रतिशत बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी।
जिले में 2015-16 शैक्षिक सत्र में 6 से 14 वर्ष के 637 बच्चों ने बीच में पढ़ाई छोड़ दी। इनमें 204 ओबीसी, 165 अल्पसंख्यक, एससी 184 और सामान्य वर्ग के 84 बच्चे हैं। पढ़ाई छोड़ने में लड़कियों से अधिक संख्या लड़कों की है। जिले में विभिन्न आयु वर्ग के 366 छात्रों जबकि 271 छात्रओं ने किताब-कॉपी से मुंह फेर लिया। इनमें भी अधिक संख्या 12 या 13 साल के बच्चों की है। 12 व 13 साल के 119 लड़कों जबकि इसी आयुवर्ग की 86 लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी।
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