बीटीसी सत्र को पटरी पर लाने के प्रयास ही बेपटरी, सर्वोच्च न्यायलय के द्वारा समय सारिणी तय किये जाने के बाद भी शासन से अब तक हरी झंडी नहीं मिल सकी

इलाहाबाद : बीटीसी सत्र को पटरी पर लाने के प्रयास ही बेपटरी हो रहे हैं। 2015 सत्र की काउंसिलिंग पहले अप्रैल और बाद में मई में शुरू करने की तैयारी थी, लेकिन इस संबंध में शासन से हरी झंडी नहीं मिल सकी है। ताज्जुब यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बीटीसी का सत्र नियमित करने की पहल की और कब आवेदन लिया जाए व कब से पढ़ाई शुरू हो इसका कार्यक्रम भी भेजा है, फिर भी शासन में शिक्षक तैयार करने की प्रक्रिया अटकी है।

बीटीसी पाठ्यक्रम का सत्र नियमित नहीं है। 2013 सत्र शुरू करने के समय निजी कालेजों की एकाएक संख्या बढ़ने और फिर उनकी सीटों को भरने में जो आपाधापी मची उससे महकमा उबर नहीं पाया है। सीटें भरने को काउंसिलिंग आदि की प्रक्रिया में काफी विलंब हुआ। इससे सत्र काफी देर से चला। देरी होने से आगे के सत्रों का समय भी खिसकता चला गया। इसका नतीजा यह है कि बीते अगस्त-सितंबर में 2014 सत्र के प्रवेश की काउंसिलिंग शुरू हुई। इस प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

बीटीसी सत्र को नियमित करने के लिए शीर्ष कोर्ट ने बाबा शिवनाथ सिंह शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान बनाम नेशनल काउंसिलिंग फॉर टीचर एजूकेशन व अन्य के संबद्ध 10 अन्य याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आठ सितंबर 2015 को आदेश दिया कि बीटीसी 2014 सत्र का प्रवेश हर हाल में 20 सितंबर तक पूरा कर लिया जाए और 22 सितंबर से कक्षाएं शुरू की जाएं। इस आदेश का अनुपालन करने के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव नीना श्रीवास्तव ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डायट के प्राचार्यो को पत्र लिखकर किसी तरह से पढ़ाई शुरू कराई। शीर्ष कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि 2015 का सत्र 22 सितंबर 2016 से शुरू होगा। इसके लिए आवेदन लेने की प्रक्रिया की संभावित तारीख अप्रैल 2016 तय की गई, ताकि सारी सीटें जुलाई तक भर ली जाएं, लेकिन टीईटी 2015 परीक्षा के आयोजन के कारण परीक्षा नियामक ने अप्रैल के बजाए मई में काउंसिलिंग कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा। उसके बाद से कई बार वरिष्ठ अधिकारियों का इस ओर ध्यान दिलाया गया, लेकिन अब तक काउंसिलिंग शुरू करने का आदेश नहीं हो सका है।

माना जा रहा है कि नौ जून से होने वाली बैठक में यह प्रकरण भी प्रमुखता से उठेगा और आदेश आते ही काउंसिलिंग की तारीख घोषित की जाएगी।

बीटीसी सत्र को पटरी पर लाने के प्रयास ही बेपटरी, सर्वोच्च न्यायलय के द्वारा समय सारिणी तय किये जाने के बाद भी शासन से अब तक हरी झंडी नहीं मिल सकी Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 6:27 AM Rating: 5

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