सपा सरकार की विदाई के साथ ही शिक्षामित्रों के संगठनों ने भाजपा में पैठ बनानी शुरू की, चुनाव का परिणाम निकलते ही शिक्षामित्र नेताओं ने दिल्ली में डाला डेरा
सपा सरकार की विदाई के साथ ही प्रदेश के लगभग पौने दो लाख शिक्षा मित्रों ने सत्ता में आने वाली नई पार्टी भाजपा में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है। शिक्षामत्र संगठनों ने भाजपा नेताओं प्रकाश जावेड़कर, स्वामी प्रसाद मौर्या, केशव प्रसाद मौर्या से मुलाकात कर अपना पक्ष रख दिया है उनके मामले की पैरवी में कोई कोताही न बरती जाए।
यह है मामला- सपा सरकार ने 2012 में अपने घोषणापत्र में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का वायदा किया था। इस वायदे पर अमल भी किया गया। वर्ष 2013 में शिक्षा मित्रों की दो वर्षीय ट्रेनिंग पूरी होने पर चरणबद्ध तरीके से इनका समायोजन शुरू भी किया गया। लगभग 1.30 लाख शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक बन गए और उनका वेतन 3500 से लगभग 30 हजार हो गया लेकिन हाईकोर्ट ने इनकी नियुक्ति को अवैध बताया। अवैध बताने के पीछे इन शिक्षामित्रों को अध्यापक पात्रता परीक्षा पास न होना है।
इस फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सपा सरकार इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी भी कर रही है। शिक्षामित्रों के संख्याबल को इससे भी समझा जा सकता है कि 2014 के चुनाव में इनका जिक्र बार-बार आया।
अब जब सपा सरकार जा चुकी है तो शिक्षामित्रों ने नई सरकार में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है। हालांकि अपने मामले में केन्द्र से ढील दिलवाने के लिए ये पहले भी केन्द्रीय मंत्रियों से मिलते रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव का परिणाम निकलते ही इन शिक्षामित्र नेताओं दिल्ली में डेरा डाल दिया है और कई नेताओं से मिलकर अपना पक्ष फिर से सामने रखा है।
कई भाजपा नेताओं से बीते दिनों हमने दिल्ली जाकर मुलाकात की है। अपना पूरा पक्ष रखा है। सबने हमारे मामले में मजबूत पैरवी करने का वायदा किया है। - जितेन्द्र शाही, प्रदेश अध्यक्ष, आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन
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