कॉन्वेंट व निजी स्कूलों को टक्कर देंगे सरकारी स्कूल, सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से होगी अंग्रेजी की अनिवार्य पढ़ाई
लखनऊ । अब राजधानी सहित प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चे भी निजी व कॉन्वेंट स्कूलों को पढ़ाई में टक्कर देते नजर आएंगे। इसके लिए सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से ही अनिवार्य रूप से अंग्रेजी पढ़ाई जाएगी। राज्य सरकार ने इस संबंध में निर्णय ले लिया है। शासन के उच्चस्तरीय सूत्रों की मानें तो सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति व उसकी गुणवत्ता को सुधारने के लिए कक्षा एक से अंग्रेजी अनिवार्य की जा रही है। इसके लिए सिलेबस में जरूरी बदलाव भी किए जाएंगे।
दरअसल, अभी तक सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षाओं की व्यवस्था नहीं है। यहां कक्षा एक से पढ़ाई शुरू होती है। वहीं निजी एवं कॉन्वेंट स्कूल लोवर प्रेप से ही फर्राटेदार अंग्रेजी बच्चों को सिखाने लगते हैं। लिहाजा अभिभावक भी सरकारी छोड़ प्राइवेट स्कूलों की तरफ भागते हैं। लेकिन अब सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से अंग्रेजी पढ़ाए जाने के निर्णय से काफी हद तकसुधार होगा। सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति, गिरता शिक्षण स्तर पर सरकार की विशेष नजर है। अब इन खामियों को दूर करने के लिए सुधार शुरू कर दिए हैं। गौरतलब है कि अभी तक प्राथमिकविद्यालय में कक्षा एक में कलरव-1 की किताब से पढ़ाई कराई जाती है। इसी में सभी विषय मिक्स होते हैं।
बेसिक शिक्षा में दो साल पहले हुई थी इंग्लिश मीडियम की शुरुआतबेसिक शिक्षा विभाग की बात करें तो एक अप्रैल 2015 से राजधानी सहित प्रत्येक जिले से दो-दो प्राइमरी स्कूल को इंग्लिश मीडियम से चलाने की शुरुआत की गई थी। राजधानी में प्राथमिक विद्यालय पान खेड़ा और प्राथमिक विद्यालय हसनपुर केवली को इसके लिए चुना गया। यहां अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की भी तैनाती की गई। जिससे बच्चे अंग्रेजी में बात कर सकें। यह योजना काफी हद तक सफल भी हो रही है। वहीं दूसरी ओर वर्तमान राज्य सरकार ने सभी बेसिक स्कूलों के शिक्षकों को शुरुआती कक्षाओं में अंग्रेजी का स्तर सुधारने के निर्देश दिए हैं।
उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने बताया कि कक्षा एक से अंग्रेजी को लागू करने के लिए सिलेबस में बदलाव के साथ अन्य सुधार भी किए जाएंगे। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में बेहतर आधुनिक शिक्षा पद्धति के साथ छात्रों को बीच राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाने की भी तैयारी है।
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