बीएड, बीटीसी, बीपीएड व एमपीएड कालेजों को हर वर्ष लेनी होगी स्वीकृति, हर साल होगा बीएड व बीटीसी कालेजों का निरीक्षण

बीएड व बीटीसी समेत शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाने की स्वीकृति अब कालेजों को हर वर्ष लेनी होगी। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने नियमों में बदलाव करते हुए इस पर मुहर लगा दी है। बीएड, बीटीसी के अलावा बीपीएड व एमपीएड कोर्स चलाने वाले कालेजों को मान्यता दिए जाने के बाद प्रतिवर्ष उनका निरीक्षण किया जाएगा।

एनसीटीई की 46वीं कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। बैठक में यह भी तय किया गया है कि कालेज खोलने के दौरान रिजर्व फंड का 50 फीसद एनसीटीई लेगी, जबकि 50 फीसद कालेजों के पास रहेगा। एनसीटीई के इन दोनों नियमों से कालेज इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के पदाधिकारी जल्द ही इसके खिलाफ मानव संसाधन विकास मंत्री से मिलेंगे। शुक्रवार को इस संबंध में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि स्थायी मान्यता के बाद हर साल निरीक्षण किसलिए किया जाएगा। इसके अलावा सरकारी व सहायता प्राप्त कालेजों की निरीक्षण फीस पांच हजार व प्राइवेट कालेजों की 20 हजार रुपये रखी गई है। फीस को लेकर भी प्राइवेट कालेजों के साथ भेदभाव किया गया है। उनका कहना था कि जब फंड कालेज ने जमा किया है तो एनसीटीई उसका ब्याज कैसे ले सकती है। यह फंड आकस्मिक परिस्थिति में शिक्षकों के वेतन व अन्य संसाधनों में खर्च किया जाता है। प्रेसवार्ता में डा. बृजेश भदौरिया, रमाकांत तिवारी, समीर शुक्ला मौजूद थे।

टॉप 200 कालेजों का होगा चयन : शिक्षण प्रशिक्षण कालेजों का मूल्यांकन इस वर्ष से नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) नहीं बल्कि क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया (क्यूसीआइ) करेगा। कानपुर समेत देश भर में 25 हजार शिक्षण प्रशिक्षण कालेज संचालित हैं जिसमें यूपी में पांच हजार व विश्वविद्यालय से 300 कालेज संबद्ध हैं।

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