72825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज, 11 सौ सहायक अध्यापकों को तदर्थ नियुक्ति देने के खिलाफ दायर की गई थी याचिका
72825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज, 11 सौ सहायक अध्यापकों को तदर्थ नियुक्ति देने के खिलाफ दायर की गई थी याचिका।
इलाहाबाद : परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति नियमावली में हाईकोर्ट के निर्णय से बड़ा बदलाव हुआ है, लेकिन तदर्थ नियुक्ति प्रकरण में हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट ने इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने 72825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में करीब 1100 सहायक अध्यापकों को तदर्थ नियुक्ति देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है।
हाईकोर्ट ने मामले में यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया कि याचीगण ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की है, लिहाजा मामले में हस्तक्षेप का औचित्य नहीं है। ऋषि श्रीवास्तव और अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय ने सुनवाई की। शिक्षामित्रों के अधिवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती नियमावली में 15वां संशोधन करके नियुक्तियां शैक्षणिक गुणांक के आधार पर करने का निर्णय लिया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई और खंडपीठ ने 15वां संशोधन रद करते हुए नियुक्तियां टीईटी प्राप्तांक पर करने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई है। इस दौरान लगभग 1100 अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर कहा कि यदि हाईकोर्ट ने 15वां संशोधन रद नहीं होता तो उनकी शैक्षणिक गुणांक पर नियुक्ति मिल गई होती। एसएलपी के लंबित रहने के दौरान उनको नियुक्ति दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों को तदर्थ रूप से सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति देने का आदेश दिया तथा कहा कि यह नियुक्तियां एसएलपी के निर्णय पर निर्भर करेगी। जनवरी 2017 को प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर नियुक्ति प्रारंभ कर दी। इस बीच हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि जिन अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दी जा रहीं हैं उन्होंने कभी आवेदन नहीं किया है तथा वह नियुक्ति की अर्हता और मानक को पूरा नहीं करते हैं। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के आदेश से की जा रही हैं और याचीगण भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्षकार हैं, लिहाजा हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Court No. - 32
Case :- WRIT - A No. - 2694 of 2017
Petitioner :- Rishi Srivastava And 12 Others
Respondent :- State Of U.P. And 8 Others
Counsel for Petitioner :- Vinay Kumar Srivastava,Prabhakar Awasthi
Counsel for Respondent :- C.S.C.,A K S Bishen,Agnihotri Kumar Tripathi,Ashok Kumar Yadav,Rashmi Tripathi,Sanjay Kumar Srivastava,Seemant Singh
Hon'ble Abhinava Upadhya,J.
By means of this writ petition, the petitioners have come to this Court raising a grievance that pursuant to a interim order passed by the Supreme Court dated 7.12.2015, a concession was given by the Advocate General, U.P. that all the interveners will be given appointment on ad-hoc basis. The Supreme Court permitted the State Government to do that within four weeks. However, it held:- "needless to say that no right shall accrue in their favour because of this order".
Learned counsel for the petitioners submits that all those persons, who have been given appointment, were not even applicants and most of them were not even qualified to be given such an appointment on the basis of earlier interim order dated 25.3.2014.
It is to be noted that the petitioners were also the applicants before the Supreme Court. It is clear from the order of the Supreme Court that no right will accrue in favour of such persons, who have been given appointment.
That being the case, no separate writ petition can be entertained here at this stage, once the petitioners themselves are the applicants before the Supreme Court.
The writ petition is, accordingly, dismissed.
Order Date :- 18.4.2017
Ashish Tripathi
72825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज, 11 सौ सहायक अध्यापकों को तदर्थ नियुक्ति देने के खिलाफ दायर की गई थी याचिका
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:04 AM
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