इंटरनेट पर खोजे जा रहे भगवान परशुराम, शिक्षक अपनी जेब ढीली करके साहित्य इकट्ठा करने में जुटे
इलाहाबाद : भगवान परशुराम की हर जयंती पर छुट्टी मनाते आ रहे शिक्षक इन दिनों बेचैन हैं। उनकी बेचैनी का कारण प्रदेश सरकार का छुट्टी खत्म करना नहीं है, बल्कि महापुरुष के नाम पर विद्यालय में गोष्ठी का इंतजाम करना है। छुट्टियों का लुत्फ लेने वाले शिक्षकों को महापुरुष के कार्यो की भी जानकारी नहीं है और न ही बाजार में उनके नाम पर आसानी से साहित्य ही मिल रहा है। ऐसे में इंटरनेट पर परशुराम खोजे जा रहे हैं और शिक्षक जेब ढीली करके साहित्य इकट्ठा करने में जुटे हैं।
प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों सभी वर्गो के महापुरुषों के नाम पर विद्यालयों में होने वाली 15 छुट्टियां खत्म कर दिया है। सरकार का तर्क है कि महापुरुष के जन्म या फिर निर्वाण दिवस पर अवकाश क्यों होना चाहिए, बल्कि उस दिन विद्यालय में गोष्ठी आदि का आयोजन करके बच्चों को उनके प्रति जानकारी देना चाहिए। इसके लिए तमाम प्रकार के आयोजन करने का निर्देश हुआ है। पिछले दिनों 17 अप्रैल को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जयंती को स्कूल खोलने का निर्देश हुआ। उस दिन भी शिक्षकों को पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर साहित्य खोजने में जुटना पड़ा, कुछ पुस्तकें हासिल हुई और जैसे-तैसे आयोजन हो पाया। अब शुक्रवार को परशुराम जयंती है।
उनके नाम पर राजनीति तो खूब होती है, लेकिन सुलभ साहित्य बाजार में उस तरह से नहीं है, जैसे अन्य का मिल जाता है। परशुराम से जुड़े ज्यादातर प्रसंग रामचरित मानस जैसे कुछ धर्मग्रंथों में ही हैं। कुछ उद्भट विद्वानों ने उन पर किताबें भी लिखी है, लेकिन वह हर जगह उपलब्ध नहीं है। ऐसे में शिक्षक उनसे जुड़ा साहित्य बटोरने में परेशान दिखे।
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