यूपी टीईटी 2017 का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी पर उठे सवाल, SCERT के निदेशक ने सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी से मांगी रिपोर्ट
यूपी टीईटी 2017 का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी पर उठे सवाल, SCERT के निदेशक ने सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी से मांगी रिपोर्ट।
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) 2017 कराने की जिम्मेदारी दागी कम्प्यूटर एजेंसी को दिए जाने की शिकायत हुई है। 15 अक्तूबर को प्रस्तावित परीक्षा से पहले शिकायत मिलने पर निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण (एससीईआरटी) डॉ. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने सात सितंबर को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह को पत्र लिखकर एक हफ्ते में रिपोर्ट तलब की है।
शिकायत की गई है कि इसी एजेंसी ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) 2013 की भर्ती के लिए परीक्षा का काम भी कराया गया था जिसमें बड़े स्तर पर धांधली की शिकायत मिली थी। गौरतलब है कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर की टीईटी के लिए इस बार 15,08,410 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है।
■ गड़बड़ी के बाद संशोधित हुए थे कई विषयों के परिणाम : जिस दागी एजेंसी को टीईटी 2017 का काम देने की शिकायत हुई है उसी ने टीजीटी-पीजीटी 2013 की लिखित परीक्षा की ओएमआर शीट भी जांची थी। अभ्यर्थियों ने चयन बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष हीरालाल गुप्ता ने कॉपियों के जांचने में गड़बड़ी की शिकायत की तो चयन बोर्ड में रखी ओएमआर शीट का मिलान एजेंसी की ओएमआर शीट से कराया गया। मिलान में गड़बड़ी की पुष्टि होने पर कई विषयों के परिणाम संशोधित करने पड़े थे। यदि वास्तव में इसी एजेंसी को टीईटी 2017 का काम दिया गया है तो सवाल उठना वाजिब है।
■ तत्कालीन शिक्षा निदेशक को जाना पड़ा था जेल : उत्तर प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन को 8 फरवरी 2012 को रमाबाईनगर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा।
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