सीएम योगी के खिलाफ अशोभनीय संदेश whatsapp पर वायरल करने के आरोपी झांसी के सह समन्वयक को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली राहत
इलाहाबाद : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अशोभनीय संदेश वाट्सएप पर वायरल करने के आरोपी झांसी के बेसिक शिक्षा विभाग के सह समन्वयक मनोज यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने सह समन्वयक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश पर रोक लगा दी है और 18 सितंबर को अगली तय करते हुए पत्रवली तलब की है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने मनोज यादव की याचिका पर दिया है।
■ मुख्यमंत्री के खिलाफ अशोभनीय संदेश वायरल करने का है आरोप
■ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
आरोपी मनोज यादव को झांसी के बीएसए ने उसके मूल पद प्राथमिक विद्यालय प्रीतमपुर बड़ागांव के प्रधानाचार्य पद पर भेजते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है। खंड शिक्षाधिकारी बबीना को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। कोर्ट ने कहा है कि नोटिस में संदेश का विवरण नहीं दिया है। याची के अधिवक्ता राय साहब यादव का कहना है कि विवेकानंद नामक व्यक्ति ने याची के मोबाइल पर एक संदेश भेजा, जिसमें लिखा था कि सरकार को इतना बहुमत मिला कि मुख्यमंत्री और विधायक सरप्लस हो गए। यह भी लिखा था कि सरकार के पास वेतन देने को पैसे नहीं हैं तो पहले सरप्लस लोगों से इस्तीफा लिया जाए।
अधिवक्ता ने कहा कि याची मनोज यादव के परिवार के बच्चे ने गलती से यह संदेश वाट्सएप के अन्य ग्रुप में भेज दिया, जिससे बेसिक शिक्षाधिकारी ने प्रथम दृष्टया याची को दोषी मानते हुए पद स्थापित करने व अनुशासनिक कार्रवाई का आदेश दिया है। याची अधिवक्ता का कहना है कि उप्र सरकारी सेवक (अनुशासन, अपील) नियमावली 1999 इस मामले में लागू नहीं है, क्योंकि वाट्सएप संदेश का याची की सेवा शर्तो से कोई सरोकार नहीं है। याची की सेवा उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा 1981 के तहत है और याची ने संदेश को फारवर्ड नहीं किया है। याची के अधिवक्ता का यह भी कहना है कि वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार के तहत ऐसे संदेश भेजने पर कार्रवाई नहीं की जा सकती। कारण बताओ नोटिस में यह नहीं लिखा है कि याची ने ही संदेश भेजा है। इसलिए उस पर की गयी कार्रवाई मनमानीपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि मुद्दा विचारणीय है। अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
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