मिशनरी स्कूलों की मनमानी पर भी अब लगेगा अंकुश, प्रशासनिक आदेशों की भी अनदेखी करते रहे हैं ऐसे स्कूल
लखनऊ : निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए सरकार की ओर तैयार किया जा रहा विधेयक प्रदेश में दशकों से मिशनरी स्कूलों की समानांतर व्यवस्था को भी तोड़ने में सफल होगा। इन स्कूलों में की अपनी व्यवस्था कभी-कभी प्रशासनिक आदेशों की भी अनदेखी करती रही है। जिला विद्यालय निरीक्षकों का भी इन स्कूलों पर कुछ खास नियंत्रण नहीं रह पाता।
■ प्रशासनिक आदेशों की भी अनदेखी करते रहे हैं ऐसे स्कूल
■ जिला विद्यालय निरीक्षकों का भी नहीं रह पाता प्रभाव
प्रदेश में मिशनरी स्कूलों की बड़ी संख्या है, जहां प्रवेश के लिए लंबी कतारें लगती रही हैं। राज्य के सरकारी स्कूलों के गिरते स्तर ने इन्हें विशिष्ट बना रखा है। अंग्रेजों ने देश छोड़ने से पहले इनके लिए कोड बनाया था और ये इसी के हिसाब से संचालित होते हैं लेकिन, आज के दौर में कोई अधिकारी उन कोड का अध्ययन भी नहीं करना चाहता। इलाहाबाद और लखनऊ के ऐसे स्कूलों में मनमाने कार्यक्रम भी चलते रहे हैं जिनमें अनिच्छा के बावजूद छात्रों को शामिल होना पड़ता है। चूंकि अधिकांश स्कूलों को अल्पसंख्यक दर्जा हासिल है, संविधान में इन्हें अपनी मर्जी से प्रवेश और फीस निर्धारण का अधिकार भी हासिल है। इसका लाभ उन्हें मिलता रहा है, लेकिन ड्राफ्ट में शामिल किए गए ऐच्छिक फीस के नियम ऐसे स्कूलों में कार्यक्रमों के नाम पर आयेदिन वसूली को नियंत्रित करेंगे।
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