2017 में गुणवत्तापरक शिक्षा की दिशा में बढ़े तेज कदम, गुजरे साल में शिक्षा में बदलाव के 10 बड़े अहम कदम

■ उच्च शिक्षण संस्थानों ने खुद को विश्वस्तरीय बनाने को लेकर रुचि दिखाई
■ स्कूलों में पढ़ा रहे सभी 13 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को अगले दो साल में प्रशिक्षित करने का फैसला

नई दिल्ली : किसी भी देश या समाज के विकास के लिए उसके लोगों का शिक्षित होना जरूरी है। लेकिन, यह शिक्षा कैसी हो? क्या यह सिर्फ साक्षर या कागजी डिग्री जुटाने भर तक सीमित हो या फिर गुणवत्तापरक और समाज को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने वाली हो। मौजूदा सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने के लिए कुछ ऐसी ही पहल की है।


पीछे मुड़कर देखें तो निराशा होती है। अपने संस्थान विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे थे। पर स्थिति बदली है। आज देश के 103 उच्च शिक्षण संस्थानों ने खुद को विश्वस्तरीय बनाने को लेकर रुचि दिखाई है। देश के 20 संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने को लेकर चल रही प्रतिस्पर्धा में इन संस्थानों ने आवेदन दिया है। इनमें सरकारी और निजी शिक्षण संस्थान दोनों शामिल हैं।


स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर सरकार ने कुछ ऐसी ही पहल की है। इसके तहत स्कूलों में पढ़ा रहे सभी 13 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को अगले दो साल में प्रशिक्षित करने का फैसला लिया है। देशभर में 10वीं और 12वीं का एक जैसा पाठ्यक्रम और परीक्षा का पैटर्न रखने को लेकर सरकार तेजी से बढ़ रही है। सरकार ने शिक्षा को समाज से जोड़ने के लिए भी हैकथान जैसी प्रतिस्पर्धाएं शुरू की हैं। इसके तहत इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों में नए इनोवेशन और शोध को प्रमोट किया जा रहा है।


बदलाव के 10 बड़े कदम

स्वायत्तता : आइआइएम अब स्वायत्त और सरकार की दखल से मुक्त होंगे। 10 सरकारी संस्थानों को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए एक हजार करोड़ रुपये मिलेंगे।

स्वयं : शिक्षा किसी को भी, कहीं भी। आनलाइन शिक्षा का यह दुनिया का सबसे बड़ा पोर्टल बन गया है। छह महीने में छह सौ कोर्स ऑनलाइन चलाए जा रहे हैं। आने वाले समय में 1500 नए कोर्स और जोड़ने की तैयारी है। 17 लाख लोग रजिस्टर्ड करा चुके हैं।

नेशनल एकेडमिक डिपाजिट : विश्वविद्यालयों और बोर्ड से मिलने वाली दस-साल पुरानी सारी डिग्री और मार्कशीट डिजिटल उपलब्ध होगी।

नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी : किताबों के लिए अब भटकना नहीं होगा। 72 लाख किताबें इस पर उपलब्ध हैं। 17 लाख यूजर्स आज इससे जुड़े हैं। आने वाले दिनों में दोगुनी किताबों को इस पर उपलब्ध कराया जाएगा।

हेफा : आइआइटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों को अब शोध कार्यो के लिए तय बजट से अतिरिक्त भी पैसा मिलेगा। यह धन हायर एडुकेशन फंडिंग एजेंसी (हेफा) से मिलेगा, जो बतौर ऋण होगा, लेकिन ब्याज नहीं देना होगा। हाल ही में देश की छह आइआइटी ने हेफा से पैसा लिया है।

हैकथान: सामाजिक जुड़ाव का यह एक बड़ा मूवमेंट है। इसके जरिये इंजीनियरिंग छात्रों से समाज को लाभ देने वाले इनोवेटिव आइडिया और शोध आमंत्रित किए जाते हैं। हाल ही में इस मूवमेंट में 42 हजार इंजीनियरिंग छात्रों ने हिस्सा लिया है।

लर्निग आउट कम: स्कूली शिक्षा में पहली से आठवीं तक के छात्र को किस कक्षा में और किस विषय में क्या आना चाहिए, इसका एक फामरूला तैयार किया गया है। नेशनल असेसमेंट सर्वे के जरिये तीसरी, पांचवीं और आठवीं के शैक्षणिक स्तर को भी परखा गया है।

वैदिक शिक्षा को बढ़ावा: आधुनिक शिक्षा के साथ वैदिक शिक्षा को भी बढ़ावा देने की सरकार ने पहल की है। वैदिक पाठशालाओं के संरक्षण सहित वैदिक शिक्षा से जुड़े विद्वानों को सरकार ने पुरस्कृत करने का भी फैसला लिया है। हर साल 16 वेद विद्वान पुरस्कृत किए जाएंगे।

अप्रशिक्षित शिक्षकों का प्रशिक्षण: देश के 13 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षिण दिया जा रहा है। यह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से चलाया जा रहा है।

सस्ती किताबें पहुंचाने का लक्ष्य: एनसीईआरटी के जरिये छात्रों तक सस्ती किताबें पहुंचाने की दिशा में सरकार ने एक बड़ी पहल की है। इस साल छह करोड़ से ज्यादा किताबें छापने की तैयारी है।

2017 में गुणवत्तापरक शिक्षा की दिशा में बढ़े तेज कदम, गुजरे साल में शिक्षा में बदलाव के 10 बड़े अहम कदम Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:58 AM Rating: 5

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