शिक्षक भर्तियों पर ग्रहण, अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकारमय, रेंग-रेंग कर चल रही है पटरी पर लौटी भर्तियों की गाड़ी
इलाहाबाद : भाजपा सरकार के प्रदेश में एक साल पूरे होने की चौतरफा खुशी है तो नौकरी की आस में बैठे लाखों युवा अब भी गम और गुस्से में हैं। उप्र लोक सेवा आयोग और परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इलाहाबाद की ओर से हो रही सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया शुरू होकर भी अधर में है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से सहायक प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया क्रियान्वयन में नहीं आ सकी है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड गठन का मामला ठंडा पड़ा है और एसएससी के अभ्यर्थी कई दिनों से आंदोलित हैं। ऐसे में लाखों युवाओं का भविष्य अंधकारमय है।
राजकीय माध्यमिक स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षकों के 10768 पदों पर भर्ती के लिए उप्र लोक सेवा आयोग ने ऑनलाइन आवेदन 15 मार्च से लेने शुरू कर दिए हैं। कुछ अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जबकि इंटरमीडिएट में विषयों की अनिवार्यता के चलते भी सैकड़ों अभ्यर्थी आयोग से निर्धारित हुई अर्हता पर सवाल उठा रहे हैं। इससे पहले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इलाहाबाद की ओर से कराई गई सहायक अध्यापक के 68500 पदों पर भर्ती प्रक्रिया, हाईकोर्ट के निर्देश पर टल चुकी है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का पुनर्गठन होने पर अध्यक्ष समेत परीक्षा समिति ने सात फरवरी 2018 को कार्यभार ग्रहण कर लिया था फिर भी अब तक अशासकीय महाविद्यालयों में ढाई हजार से अधिक सहायक प्रोफेसर और आचार्य भर्ती की प्रक्रिया लंबित है।
टीजीटी-पीजीटी शिक्षकों के 10 हजार से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती अभी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन का इंतजार ही कर रही है, जबकि इसके अभ्यर्थी महीनों से आंदोलित हैं। प्रतियोगियों के गुस्से से सभी परीक्षा संस्था से होने वाली शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर ग्रहण लगा है।
■ एसएससी से हो रही परीक्षाओं पर भी संकट के बादल मंडरा रहे
एसएससी यानी कर्मचारी चयन आयोग में धांधली का आरोप लगा रहे हजारों प्रतियोगियों की मांग पुरानी परीक्षाओं की सीबीआइ जांच समेत आगामी परीक्षाओं पर भी रोक लगाने की मांग की है। प्रतियोगी दो सप्ताह से आंदोलन की राह पकड़े हैं। ऐसे में एसएससी से हो रही परीक्षाओं पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। परीक्षा संस्थाओं पर लगातार उठ रही अंगुली के चलते भर्तियों के दरवाजे खोलने की सरकारी पहल के बावजूद युवाओं में आक्रोश है और भर्तियों की गाड़ी पटरी पर लौटने के बाद भी रेंग-रेंग कर चल रही है।
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