पांच हजार साक्ष्य कार्यालय में उपलब्ध,  कॉपी का दोबारा मूल्यांकन और स्कैन कॉपी मांगने वाले सशुल्क दे रहे हैं ब्योरा, दिनों दिन बढ़ रही स्कैन कॉपी मांगने वालों की संख्या

पांच हजार साक्ष्य कार्यालय में उपलब्ध,  कॉपी का दोबारा मूल्यांकन और स्कैन कॉपी मांगने वाले सशुल्क दे रहे हैं ब्योरा, दिनों दिन बढ़ रही स्कैन कॉपी मांगने वालों की संख्या। 


इलाहाबाद : 68500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में अनियमितताओं की जांच करने वाले अधिकारी गड़बड़ी के साक्ष्य खोज रहे हैं। इसके लिए विज्ञप्ति तक जारी हुई है, जबकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में ही करीब पांच हजार अभ्यर्थी बाकायदे शुल्क देकर स्कैन कॉपी इसीलिए मांग रहे हैं, क्योंकि उन्हें मिले अंकों पर भरोसा नहीं है। तमाम अभ्यर्थी उत्तर पुस्तिकाओं का दोबारा मूल्यांकन कराने की मांग भी कर चुके हैं।


शिक्षक भर्ती का रिजल्ट 13 अगस्त को आने के बाद से लगातार परिणाम में मिले अंकों पर परीक्षा देने वाले ही सवाल उठा रहे हैं। शासनादेश के मुताबिक अभ्यर्थी दो हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा करके स्कैन कॉपी और उनकी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन कराने की मांग कर रहे हैं। पूर्व सचिव ने 30 अगस्त तक की समय सीमा तय की थी, उस समय तक करीब ढाई हजार आवेदन आए, बाद में इसे बढ़ाकर एक वर्ष कर दिया गया है। ऐसे में पांच हजार आवेदन आ चुके हैं और हर दिन यह संख्या बढ़ रही है।


जिस परीक्षा में एक लाख सात हजार से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए हों और उनमें 41556 उत्तीर्ण हुए इसके बाद स्कैन कॉपी मांगने वाले पांच हजार अभ्यर्थी वही हैं, जो मिले अंकों से संतुष्ट नहीं है। ऐसे अभ्यर्थियों ने परीक्षा की अपनी कार्बन कॉपी और रिजल्ट के अंक पत्र की प्रति भी लगाई है। इस साक्ष्य के जरिए उनका दावा है कि मिले अंक सही नहीं है। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि उच्च स्तरीय समिति ने भले ही अब साक्ष्य व स्कैन कॉपी जांच प्रक्रिया के तहत भले ही मांगी हो लेकिन, इससे अधिक लाभ होने वाला नहीं है। इसकी जगह समिति को उन अभ्यर्थियों की पीड़ा समझनी चाहिए, जो स्कैन कॉपी मिलने की राह देख रहे हैं।



अभ्यर्थियों को लगानी पड़ेगी दौड़ : परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि वह परीक्षा शुल्क और स्कैन कॉपी का शुल्क दे चुके हैं, अब लखनऊ में साक्ष्य देने के लिए बेवजह की दौड़ लगानी पड़ेगी। जब परीक्षा नियामक प्राधिकारी का कार्यालय इलाहाबाद में है तो यहीं पर साक्ष्य लिया जाना चाहिए था, इसमें सभी को सहूलियत रहती और ज्यादा मामले भी सामने आते।

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