68500 शिक्षक भर्ती : दिनभर दफ्तर को परीक्षार्थियों ने रखे घेरा, परीक्षा की सीबीआई जांच की मांग, कार्यालय में प्रवेश नहीं कर पाए जांच टीम के सदस्य
68500 शिक्षक भर्ती : दिनभर दफ्तर को परीक्षार्थियों ने रखे घेरा, परीक्षा की सीबीआई जांच की मांग, कार्यालय में प्रवेश नहीं कर पाए जांच टीम के सदस्य।
इलाहाबाद : भर्तियों में धांधली को लेकर उप्र लोकसेवा आयोग के मेन गेट पर ‘यादव आयोग’ लिखे जाने को अभ्यर्थी अभी भूले नहीं हैं। उसी तर्ज पर परिषदीय स्कूलों की 68500 शिक्षक भर्ती का भी अब तीखा विरोध हो रहा है। गुस्साए अभ्यर्थियों ने सोमवार को परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर दिन भर उग्र प्रदर्शन व नारेबाजी की। कई बार स्थिति बिगड़ने की नौबत आई। रास्ता न मिलते देख अभ्यर्थियों ने मेन गेट पर ताला बंद करके हंगामा काटा। देर रात तक परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव सहित कई अफसर व कर्मचारी वहां फंसे रहे।
शिक्षक भर्ती की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थी पहले राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे थे। दो दिन पहले उन्होंने योगी सरकार का महाघोटाला के पोस्टर चस्पा करके ‘भरो हुंकार, चलो इलाहाबाद’ का नारा दिया। सोमवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थी सुबह से लेकर रात तक परिसर में ही डटे रहे। अभ्यर्थी मांग कर रहे थे कि भर्ती के तय पदों की करीब 27 हजार सीटें खाली हैं, इन्हें भरने के लिए 21 मई को जारी विज्ञापन के उत्तीर्ण प्रतिशत को लागू किया जाए।
दफ्तर की दीवारों पर ‘घोटाला नियामक’, ‘बिना पैसे यहां नहीं होता कोई काम’ जैसे गंभीर आरोप लिखे गए हैं। वहीं, मुख्य गेट पर महाघोटाले के तमाम पोस्टर चस्पा किए गए हैं। दिन में कई बार अभ्यर्थी व पुलिस से टकराव की नौबत आई, जो किसी तरह टल गई। परीक्षा नियामक सचिव ने कहा कि भर्ती के संबंध में शासन ही अंतिम निर्णय लेगा, वह इस मामले में कुछ नहीं कर सकते हैं। इससे गुस्साए अभ्यर्थियों ने मुख्य गेट पर ताला डाल दिया, परीक्षा नियामक सचिव को देर रात पुलिस बुलानी पड़ी।
समाचार लिखे जाने तक हंगामा जारी रहा। परिसर में अनुत्तीर्ण अभ्यर्थियों के अलावा बीटीसी 2015 के बैक पेपर की तारीख तय कराने और संशोधित रिजल्ट जारी करने की मांग करने वाले अभ्यर्थी भी जुटे थे। इससे कार्यालय में दिन भर कामकाज नहीं हो सका। हंगामे को देख उच्च जांच समिति की टीम वहां पहुंचने का साहस नहीं कर पाई।
अभ्यर्थियों ने अल्टीमेटम दिया है कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानती है, आंदोलन निरंतर जारी रहेगा। बताते हैं कि समिति के अफसर अन्य स्थानों पर ही बैठकर अभिलेख खंगालते रहे। विवाद बढ़ने से अफसर विधिक कार्यवाही की ओर बढ़ रहे हैं।
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