शिक्षा की चुनौतियों पर आयोजित सम्मेलन में पीएम ने की कई घोषणाएं, शिक्षा में नई सोच और पहल की जरूरत : मोदी

शिक्षा की चुनौतियों पर आयोजित सम्मेलन में पीएम ने की कई घोषणाएं, 2022 तक शिक्षा के क्षेत्र में एक लाख करोड़ के निवेश की योजना
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : शिक्षा में नई सोच और पहल की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि छात्रों को क्लासरूम में दी जाने वाली शिक्षा के साथ समाज की समस्याओं से भी परिचित कराना चाहिए। शिक्षा का मकसद व्यक्ति का संतुलित विकास होता है और यह नई पहल से ही हो सकता है।

शिक्षा की चुनौतियों से निपटने को लेकर शनिवार को नई दिल्ली में बड़ा आयोजन था। इसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों से लगभग 400 कुलपति और निदेशक आए थे। इसका उद्घाटन करते हुए मोदी ने व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण पर जोर दिया। विवेकानंद से लेकर बाबा साहेब आंबेडकर और दीनदयाल उपाध्याय का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा से भी अहम चरित्र है। दरअसल शिक्षा के तौर तरीके में बदलाव की जरूरत है। नई सोच व पहल की आवश्यकता है और हर किसी को इस पर ध्यान देना चाहिए। नई सोच और पहल के बगैर जिंदगी ठहर जाती है। कोई युग, काल ऐसा नहीं होता है, जो इसके बगैर चल सके। प्रधानमंत्री ने इस दौरान उच्च शिक्षा को मजबूती देने के लिए कुछ घोषणाएं भी की। उन्होंने 2022 तक यानी स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने तक इस क्षेत्र में एक लाख करोड़ के निवेश का एलान किया। इसके अलावा अगले कुछ वर्षो में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थानों को एक हजार करोड़ की विशेष मदद देने की भी बात कही।नई दिल्ली में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पुनरुत्थान के लिए शिक्षा पर अकादमिक नेतृत्व’ विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया’ प्रेट्रशोध और तकनीक पर दें ध्यान मोदी ने संस्थानों से शोध कार्यो और तकनीक के इस्तेमाल पर ज्यादा से ज्यादा जोर देने की बात कही। अटल टिंकरिंग लैब का जिक्र करते हुए कहा कि अगले कुछ महीनों इसकी संख्या पांच हजार हो जाएगी। यहां बच्चे शोध कर सकते हैं।

कुछ थोपे नहीं
प्रधानमंत्री ने संस्थानों से कहा कि युवाओं ने ब्रांड इंडिया को वैश्विक पहचान दिलाई है। देश के युवाओं के पास विचारों की कमी नहीं है। अगर हमारे पास लाखों समस्याएं हैं, तो करोड़ों उपाय भी हैं।पीएम ने दिए मंत्रसमाज के लिए संवेदनशील बनेंमोदी ने कहा कि समाज के सुख-दुख को समझना और उसे महसूस करना समय की मांग है। संस्थानों को इस दिशा में काम करना चाहिए। चाहिए काबिल शिक्षक पीएम ने कहा कि अच्छे शिक्षक आज के दौर की सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे में इनके प्रशिक्षण को कैसे ठीक किया जाए, इस दिशा में भी संस्थानों को काम करने की जरूरत है। संस्थानों के विकास के लिए स्वायत्तता जरूरी है। अभी तक इसको लेकर हम खुले नहीं थे

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