45% अंक आवश्यक नहीं , स्नातक में 40 फीसद अंक वालों को नियुक्ति देने का निर्देश, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसे अध्यापकों को वेतन व नियुक्ति का निर्णय दो माह में करने के दिये निर्देश

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन याचीगणों को बड़ी राहत दी है, जिनके स्नातक परीक्षा में महज 40 फीसद अंक रहे हैं। कोर्ट ने ऐसे अभ्यर्थियों की सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति को सही करार देते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा को निर्देश दिया है कि इन अध्यापकों की नियुक्ति व वेतन देने में दो माह में निर्णय लिया जाए।


विवेक कुमार रजौरिया और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने यह आदेश दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची गण 72825 सहायक अध्यापक में चयनित हुए थे, मगर बीएसए एटा ने यह कहते हुए उनको वेतन जारी नहीं किया कि स्नातक में 40 प्रतिशत अंक होने के कारण उनकी नियुक्ति अवैध है, क्योंकि 28 अगस्त, 2010 को जारी एनसीटीई की अधिसूचना के पैरा तीन में कहा गया है कि सहायक अध्यापक बनने के लिए स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होना अनिवार्य है।


 अधिवक्ता का कहना था कि 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने पैरा तीन को संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत करार देते हुए असांविधानिक माना है। इसलिए याचीगण की नियुक्ति को अवैध नहीं कहा जा सकता है। हाईकोर्ट ने बीएसए को निर्देश दिया है कि चूंकि एनसीटीई की अधिसूचना का पैरा तीन सुप्रीम कोर्ट ने अवैध करार दिया है इसलिए याचीगण की नियुक्ति व वेतन पर दो माह के भीतर निर्णय लिया जाए। 


45% अंक आवश्यक नहीं , स्नातक में 40 फीसद अंक वालों को नियुक्ति देने का निर्देश, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसे अध्यापकों को वेतन व नियुक्ति का निर्णय दो माह में करने के दिये निर्देश Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 6:53 AM Rating: 5

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