बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास के साथ बढ़ेगी वैज्ञानिक वृत्ति, स्कूल समय में मात्र दी जाएगी शिक्षा

बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास के साथ बढ़ेगी वैज्ञानिक वृत्ति, स्कूल समय में मात्र दी जाएगी शिक्षा


सरकार द्वारा जारी की गई नई शिक्षा नीति में पठन-पाठन के तौर तरीकों में कई परिवर्तन किए जा रहे हैं। अब बच्चों में स्वच्छता, नैतिक मूल्यों के विकास के साथ ही वैज्ञानिक मनोवृति को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा उनको समसामयिक घटनाओं के बारे में बताने के साथ प्रैक्टिकल पर भी फोकस रहेगा। खासकर बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों के लिए शासनादेश भी जारी हो चुका है।


अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने जारी किए गए निर्देशों में कहा है स्कूलों में बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शुरुआत योगा के माध्यम से की जाएगी। इसके बाद आम सभा के दौरान सुबह नैतिक मूल्यों के विकास व समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे मद्यपान, दहेज प्रथा, लिंगभेद, सांप्रदायिकता, जातिगत भेदभाव आदि के बारे में भी जागरूक किया जाएगा। उसके बाद पढ़ाई के दौरान बच्चों को समाचार पत्र पत्रिका, अखबार पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।


 साथ ही आधुनिक टेक्नोलॉजी, इंटरनेट एवं कम्युनिकेशन के विविध आयाम के माध्यम से वैज्ञानिक वृद्धि विकास करने का प्रयास किया जाएगा। प्रत्येक दिन कक्षावार एवं विषय वार कार्य दिया जाएगा। अगले दिन इसका आकलन होगा। वहीं मिड डे मील के बाद बच्चों की उपस्थिति देखी जाएगी, कहीं संख्या कम तो नहीं हो रही। शिक्षक एक डायरी बनाएंगे, जिसमें साप्ताहिक प्रगति की कार्य योजना तैयार की जाएगी।


स्कूल समय में मात्र दी जाएगी शिक्षा

परिषदीय स्कूलों में अभी तक स्कूल समय में शिक्षा के अलावा अन्य कई प्रकार के काम भी निपटाए जाते रहे हैं। अब स्कूल समय में सिर्फ शिक्षा सम्बंधी ही क्रिया कलाप होंगे। इस बीच प्रधानों से हिसाब किताब नहीं कर पाएंगे मास्साब। पढ़ाई के लिए जो समय शासन ने निर्धारित किया है उसमें शिक्षक पासबुक इंट्री, मिडडे मील को लेकर प्रधानों से हिसाब किताब नहीं कर पाएंगे। अगर कोई शिक्षक ऐसा करते पाया जाता है तो वेतन कटौती से लेकर अन्य कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।
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