सरकार की ओर से ही याचियों को शिक्षक पद पर एडहॉक नियुक्ति देने की पहल का दांव पड़ा उल्टा, विसंगतियों पर सरकार नहीं कर सकी शीर्ष कोर्ट के फैसले का पालन
इलाहाबाद : प्रदेश सरकार के जिस कदम से शिक्षामित्र गदगद हैं, वहीं दांव याचियों पर दोहराना उल्टा पड़ रहा है। पहले सरकार की ओर से ही याचियों को शिक्षक पद पर एडहॉक नियुक्ति देने की पहल की गई, लेकिन देखते ही देखते याचियों की तादाद काफी अधिक हो गई है। साथ ही उनमें से किसे रखा जाए और किसे मौका न दिया जाए यह तय करना भी आसान नहीं रहा।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती की सुनवाई चली। सुप्रीम कोर्ट ने सात दिसंबर 2015 को याचियों (नौकरी की विसंगतियों को न्यायालय में चुनौती देने वाले युवा) की नियुक्ति का आदेश दिया। बीते 24 फरवरी को शीर्ष कोर्ट ने फिर कहा कि उन समस्त याचियों की जिनकी योग्यता सात दिसंबर के आदेश के अनुरूप है को दस सप्ताह में नियुक्त किया जाए। दरअसल शीर्ष कोर्ट में इसकी पहल प्रदेश सरकार की ओर से की गई। प्रदेश के महाधिवक्ता ने कोर्ट में कहा था कि याचियों को एडहॉक नियुक्ति दी जाएगी, उसी समय तय हुआ कि 1100 याचियों को नियुक्ति मिलेगी। हालांकि उसमें से 864 युवाओं को नियुक्ति दी जा चुकी है और शेष युवा आंदोलन कर रहे हैं। उधर, युवाओं का कहना है कि निर्देश हुए दो माह बीत रहे हैं अभी तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
अभ्यर्थियों को लेकर अफवाह :
शिक्षा निदेशालय में मंगलवार देर शाम हुए लाठीचार्ज में बड़ी संख्या में युवा एवं युवतियां घायल हो गई थी। बुधवार सुबह से ही वाट्सएप आदि संचार माध्यमों से यह अफवाह फैली कि एक फतेहपुर के युवक की निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
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