फिर चल पड़ेंगे ‘थम गए’ सहायता प्राप्त स्कूल, अशासकीय एडेड जूनियर हाईस्कूलों के रिक्त पदों पर हुई पर्याप्त तैनाती, जुलाई से पठन-पाठन होने की उम्मीद
इलाहाबाद : प्रदेश भर के सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में जुलाई से पठन-पाठन होने की उम्मीद जग गई है। वर्षो से खाली पड़े प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक के सारे पद तो नहीं भरे जा सके, लेकिन जिलों में इतनी नियुक्तियां जरूर हो गई हैं कि शिक्षकों की कमी से ‘थम गए’ विद्यालय एक फिर चल पड़ेंगे।
सूबे के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए तय न्यूनतम मानक के तहत शैक्षिक पदों को भरने के आदेश 2015 में जारी हुए। इसके पहले अशासकीय सहायता प्राप्त 2888 जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों की कमी सामने आई। शिक्षा निदेशालय ने तो 800 प्रधानाध्यापक, 1444 शिक्षकों यानी 2244 पदों को भरने के लिए शासन को पत्र भी भेजा था। इस अधियाचन में कुछ जिलों के शामिल न होने और बाद में अधिक संख्या में खाली पद सामने आने पर शासन ने पदों की संख्या तय करने के बजाय सीधी भर्ती से न्यूनतम मानक पूरा करने का आदेश दिया। तत्कालीन प्रमुख सचिव डिंपल वर्मा की ओर से शासनादेश भी जारी कराया गया, तभी शिक्षा निदेशक बेसिक दिनेश बाबू शर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेज सीधी भर्ती करने के लिए अधिकृत किया। साथ ही भर्ती की पूरी प्रक्रिया हर हाल में 31 मार्च 2016 तक पूरी करने की मियाद तय कर दी।
स्पष्ट निर्देशों के बाद भी इस भर्ती में तेजी कुछ जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने ही दिखाई। कुछ जिले ऐसे भी रहे जहां स्कूलों के प्रबंधतंत्र एवं बीएसए की राय एक न होने से भर्तियां शुरू ही नहीं हो पाई। ऐसे में शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों को पत्र भेजकर भर्तियां तय समय में पूरा करने के कड़े निर्देश दिए। इसका यह असर रहा कि प्रदेश के सभी 18 मंडलों में प्रक्रिया तेज हुई और मार्च 2016 तक 398 प्रधानाध्यापक एवं 1076 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति दे दी गई। इसमें कुछ मंडलों में प्रधानाध्यापक व कुछ में सहायक अध् यापक नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं, फिर भी महकमे के अफसरों ने राहत की सांस ली है।
बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि विद्यालयों को तय न्यूनतम मानक के तहत भर्ती करने को कहा गया था, ताकि एक स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, चार सहायक अध्यापक हर हाल में तैनात हों। बार-बार निर्देशों का यह असर रहा कि लगभग सभी मंडलों में भर्तियां की गईं और आधे से अधिक पद भर लिए गए हैं।
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