नई शिक्षा नीति पर सांसदों से ली जाएगी राय, 30 सितंबर तक मांगी गई है राय, सांसद अपने-अपने दलों के माध्यम से देंगे मशविरा
नई शिक्षा नीति के संबंध में विभिन्न राजनीतिक दलों के माध्यम से संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से रायशुमारी की जाएगी। नई शिक्षा नीति पर सभी सदस्यों से 30 सितम्बर तक राय मांगी गई है ताकि इसे अमल में लाने में विलंब न हो। पहले मंत्रालय की योजना एक वर्कशॉप आयोजित कर व्यक्तिगत रूप से सांसदों से उनकी राय जानने की थी लेकिन संसद सत्र न होने के कारण इसमें विलंब हो सकता है इसलिए एचआरडी मंत्रालय ने अपनी योजना में बदलाव कर विभिन्न राजनीतिक दलों के माध्यम से उनके सांसदों की राय जानेगा।
सूत्रों ने बताया कि केवल बड़े ही नहीं छोटे दलों के सांसदों की राय भी ली जाएगी। मंत्रालय एक सांसद वाले दल की भी राय हासिल करेगा और उस पर विचार किया जाएगा। इस तरह की योजना को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पर्यावरण मंत्री रहते हुए भी भी चुके हैं और एक-एक दल की राय हासिल की गई थी। सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी राजनीतिक दलों के सांसदों से संपर्क कर राय मांगने का यह मतलब नहीं है कि पार्टी की राय मांगी जाएगी बल्कि सभी सदस्यों के व्यक्तिगत राय हासिल किए जाएंगे। संसद सत्र न होने की वजह से इसे इसी प्रकार से किया जाना संभव है लेकिन इससे रायशुमारी लेने में थोड़ी और देर हो सकती है। सांसदों की राय हासिल करने के लिए निर्धारित 30 सितम्बर की तिथि को आगे बढ़ाया जा सकता है। संसद सत्र के दौरान इस तरह की बात सामने आई थी कि नई शिक्षा नीति पर सासदों की राय भी ली जानी चाहिए। सूत्रों ने बताया कि कुछ सांसदों ने अपनी राय पहले ही मंत्रालय को भेज दी है।
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