निलंबन का दांव भी फेल बीईओ ब्लाकों से गायब, दो माह से बिना सूचना के गायब हैं उत्तर प्रदेश के 53 खंड शिक्षा अधिकारी, नोटिस देने व निलंबन की घुड़की के बाद भी पटरी पर नहीं आया कामकाज
इलाहाबाद : शासन-सत्ता को चुनौती देने का यह नायाब प्रकरण है। वैसे तो आमजन अपना हक पाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं, लेकिन इन दिनों उत्तर प्रदेश में सरकारी अधिकारियों का एक वर्ग पूरी तरह से असहयोग पर आमादा है। विकासखंड मुख्यालयों पर प्राथमिक शिक्षा की निगरानी करने वाले वह खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) काम नहीं कर रहे हैं जिनका बीते जून में दूसरे मंडल में तबादला किया गया है। सभी तबादले शासन की नीति के अनुसार किए गए हैं। यही नहीं, इन बीईओ को नोटिस देकर निलंबन का अल्टीमेटम दिया भी गया, लेकिन हालात नहीं बदले हैं।
शासन ने इस बार भी वार्षिक स्थानांतरण नीति 2016-17 जारी की। नीति के तहत शिक्षा विभाग में अपने सेवाकाल में मंडल में दस वर्ष की अवधि पूरी कर चुके बीईओ को दूसरे मंडलों में तैनाती दी गई। सख्त निर्देशों के कारण सभी बीईओ को आदेश जारी होते ही कार्यमुक्त भी कर दिया गया, लेकिन वह नई तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं। आदेश की अवमानना करने वाले बीईओ की संख्या काफी अधिक है। ज्ञात हो कि प्रदेश में 1031 खंड शिक्षा अधिकारियों के सापेक्ष करीब 850 अधिकारी तैनात हैं। उनमें से 98 का तबादला हुआ है, लेकिन 53 बीईओ ने अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। इससे परिषदीय विद्यालयों का संचालन एवं पठन-पाठन के अलावा प्रशासनिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। बीईओ को विद्यालय गोद लेना था यह फरमान भी अधर में है।
आदेश न मानने वाले बीईओ पहले स्थानांतरण संशोधन व निरस्त कराने के लिए दौड़ लगाते रहे। इसे शासनादेश एवं शासकीय आदेशों की अवहेलना के रूप में माना गया और शासन ने ऐसे बीईओ पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक विनय कुमार पांडेय ने 26 जुलाई तक ज्वाइन करके निदेशालय को ई-मेल से अवगत कराने का मौका दिया था। अपर निदेशक ने ऐसा न करने वालों को अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया। डीएम और बीएसए से भी कहा गया है कि तय समय तक कार्यभार ग्रहण न करने वालों की सूचना ई-मेल पर उपलब्ध कराई जाए। अगस्त में ही निलंबन शुरू करने की तैयारी थी, लेकिन अफसर अब तक असहयोग करने वालों की राह देख रहे हैं।
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