मिड डे मील के लिए बच्चों के आधार कार्ड की अनिवार्यता से बच्चों की सुरक्षा में भी मिलेगी मदद, बच्चों की पहचान होगी आसान
⚫ बच्चों को तस्करों से भी बचाएगा आधार कार्ड
⚫ सभी बच्चों का आधार बनवाना सरकार की प्राथमिकता पर, तस्करों के चंगुल फंसे बच्चों की पहचान होगी आसान
नई दिल्ली : मिड डे मील के लिए बच्चों के आधार कार्ड की अनिवार्यता उनकी सुरक्षा में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है। आधार कार्ड बनने के बाद बच्चों की तस्करी पर भी प्रभावी रोक लगाने में सफलता मिल सकती है। मानव तस्करों के लिए बच्चों की पहचान को छुपाए रखना आसान नहीं होगा। इसके साथ ही छोटे बच्चों के मां-बाप का पता आसानी से लग सकता है।
भारत में बच्चों की तस्करी एक बड़ी समस्या बन गई है। तस्करों के चंगुल में फंसे बच्चों की पहचान कर उन्हें मां-बाप के पास पहुंचना एजेंसियों के लिए बड़ी टेढ़ी खीर साबित होता है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर आठ मिनट में एक बच्चा तस्करों के चंगुल में फंस जाता है। तस्कर बच्चों का इस्तेमाल सेक्स वर्कर से लेकर भीख मांगने तक में करते हैं। बहुत सारे मामलों में तस्कर बच्चों को अपना बताकर एजेंसियों को गुमराह करने में सफल हो जाते हैं। खासकर पांच-छह साल से कम उम्र के बच्चे, जो अपने मां-बाप या घर का पता भी नहीं जानते हैं, उन्हें तस्करों के चंगुल से छुड़ाकर मां-बाप तक पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।
आधार कार्ड इस समस्या का रामबाण इलाज साबित हो सकता है। एक बार आधार कार्ड बन जाने के बाद सभी बच्चों का फिंगर प्रिंट और आंख की पुतली का फोटो जैसे नहीं बदले जाने वाले पहचान सुरक्षित रख लिए जाते हैं। किसी भी बच्चे का फिंगर प्रिंट या आंख पुतली का फोटो मिलाते ही उसका घर-परिवार, माता-पिता की पूरी जानकारी एक क्लिक पर जांच एजेंसी के सामने होगी। ऐसे में तस्करों के लिए बच्चे की पहचान छुपाना असंभव हो जाएगा।
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