जिलों को मध्याह्न् भोजन प्राधिकरण से भेजी गई सूची से हुआ खुलासा, 49 हजार स्कूलों में मिड डे मील लकड़ी के भरोसे


परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर तो दिया जा रहा है लेकिन एक धुंधली तस्वीर और भी है। धुएं से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार भले ही उज्ज्वला जैसी योजनाएं चला रही है, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी अभी तक विद्यालयों को लकड़ी के चूल्हों से मुक्ति नहीं मिल पाई है। प्रदेश के 49 हजार विद्यालयों में आज भी लकड़ी के चूल्हों पर मिड-डे मील बनाया जा रहा है। मध्याह्न् भोजन प्राधिकरण की तरफ से वार्षकि कार्ययोजना एवं बजट 2017 में जिलों को जो सूची उपलब्ध कराई गई है उसमें यह बात सामने आई है जिसमें बहराइच के सबसे अधिक विद्यालय हैं तो दूसरे स्थान पर हरदोई और तीसरे पर गोंडा है।1विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के साथ ही शुद्ध मिड-डे मील खिलाने के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं। विद्यालयों में किचन शेड से लेकर अन्य संसाधन भी मुहैया कराए जा रहे हैं। विद्यालयों में लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनता था जिससे एक तो शिक्षक शिक्षिकाओं को ईंधन की समस्या होती है दूसरे चूल्हे से उठने वाला धुआं बच्चों की सेहत पर भी असर डालता है। धुएं से आंखों में भी दिक्कत हो रही है। विद्यालयों को धुएं से निजात दिलाने के लिए किचन उपकरण मद में भेजी गई धनराशि से गैस सिलिंडर और चूल्हा खरीदने का इंतजाम किया गया था। हालांकि अधिकांश विद्यालयों में गैस सिलिंडर और चूल्हे का इंतजाम भी हो गया लेकिन अभी भी सैकड़ों विद्यालयों में पुरानी परिपाटी गोबर के कंडा और लकड़ी के ईंधन से खाना बनता है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने एलपीजी विहीन विद्यालयों में गैस सिलिंडर और चूल्हे का इंतजाम कराने के लिए पूर्व में सूची भी मांगी थी और वार्षकि कार्य योजना एवं बजट 2017 में एलपीजी विहीन विद्यालयों की जिलों से भेजी गई संख्या का सत्यापन कराया जा रहा है। प्राधिकरण के निदेशक अब्दुल समद की तरफ से जो सूची भेजी गई है उसमें प्रदेश में 49 हजार 77 विद्यालयों में लकड़ी से खाना बनाए जाने की बात सामने आई है। इस सूची में बहराइच के सर्वाधिक 3033 विद्यालय शामिल हैं जबकि हरदोई के 2436 विद्यालय, सीतापुर के 2383 और गोंडा के 2342 विद्यालयों में लकड़ी से खाना बनाए जाने की बात कही गई है। हालांकि इन सभी विद्यालयों में गैस चूल्हा और सिलिंडर के इंतजाम को कदम उठाए गए हैं लेकिन वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने बताया कि प्राधिकरण से जो सूची भेजी गई है उसका मिलान कराया जा रहा है। विद्यालयों की अधिक संख्या पर उनका कहना है कि हरदोई में 3993 विद्यालय मिड-डे मील का संचालन करते हैं और काफी संख्या में गैस सिलेंडर और चूल्हे हो गए हैं, जहां पर नहीं हैं वहां पर भी इंतजाम हो रहा है। 1जागरण संवाददाता, हरदोई: परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर तो दिया जा रहा है लेकिन एक धुंधली तस्वीर और भी है। धुएं से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार भले ही उज्ज्वला जैसी योजनाएं चला रही है, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी अभी तक विद्यालयों को लकड़ी के चूल्हों से मुक्ति नहीं मिल पाई है। प्रदेश के 49 हजार विद्यालयों में आज भी लकड़ी के चूल्हों पर मिड-डे मील बनाया जा रहा है। मध्याह्न् भोजन प्राधिकरण की तरफ से वार्षकि कार्ययोजना एवं बजट 2017 में जिलों को जो सूची उपलब्ध कराई गई है उसमें यह बात सामने आई है जिसमें बहराइच के सबसे अधिक विद्यालय हैं तो दूसरे स्थान पर हरदोई और तीसरे पर गोंडा है।

विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के साथ ही शुद्ध मिड-डे मील खिलाने के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं। विद्यालयों में किचन शेड से लेकर अन्य संसाधन भी मुहैया कराए जा रहे हैं। विद्यालयों में लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनता था जिससे एक तो शिक्षक शिक्षिकाओं को ईंधन की समस्या होती है दूसरे चूल्हे से उठने वाला धुआं बच्चों की सेहत पर भी असर डालता है। धुएं से आंखों में भी दिक्कत हो रही है। विद्यालयों को धुएं से निजात दिलाने के लिए किचन उपकरण मद में भेजी गई धनराशि से गैस सिलिंडर और चूल्हा खरीदने का इंतजाम किया गया था। हालांकि अधिकांश विद्यालयों में गैस सिलिंडर और चूल्हे का इंतजाम भी हो गया लेकिन अभी भी सैकड़ों विद्यालयों में पुरानी परिपाटी गोबर के कंडा और लकड़ी के ईंधन से खाना बनता है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने एलपीजी विहीन विद्यालयों में गैस सिलिंडर और चूल्हे का इंतजाम कराने के लिए पूर्व में सूची भी मांगी थी और वार्षकि कार्य योजना एवं बजट 2017 में एलपीजी विहीन विद्यालयों की जिलों से भेजी गई संख्या का सत्यापन कराया जा रहा है।

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