फरमान बेअसर : शिक्षामित्रों को नहीं मिला एरियर व वेतन, सरकार की मंशा पर अफसरों के रवैये ने फेरा पानी, आखिर सभी शिक्षामित्रों को वेतन एवं एरियर का भुगतान नहीं हो सका
इलाहाबाद : प्रदेश सरकार भले ही शिक्षामित्रों के लिए पलक पावड़े बिछाए हो, लेकिन मातहत अफसरों ने सरकार की मंशा के बजाय अपनी शैली के अनुसार काम किया। इसीलिए आज तक सभी शिक्षामित्रों को वेतन एवं एरियर का भुगतान नहीं हो सका है।
शासनादेश एवं बेसिक शिक्षा परिषद सचिव के आदेश के बाद भी करीब 40 फीसद शिक्षामित्र ऐसे हैं जिनके प्रकरण लेखा विभाग से लेकर माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय में अटके हैं। सभी शिक्षामित्रों को कब तक भुगतान मिलेगा, यह बताने वाला कोई नहीं है।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 15 वर्षो से पढ़ा रहे एक लाख 72 हजार में से एक लाख 34 हजार शिक्षामित्रों के समायोजन को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को अवैध घोषित कर दिया था। इस मामले में लंबे समय तक आंदोलन चलने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद एवं प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। उसी की सुनवाई करते हुए सात दिसंबर 2015 को शीर्ष कोर्ट ने स्थगनादेश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सबसे बड़ी राहत प्रदेश सरकार को हुई, साथ ही शिक्षामित्रों को महीनों से लंबित वेतन जारी होने की उम्मीद बंधी। कई ऐसे शिक्षामित्र थे, जिनका आठ माह का वेतन लंबित था तो कुछ ऐसे भी शिक्षामित्र रहे जिन्हें 15 महीने से वेतन का इंतजार था। ऐसे में शासन ने शिक्षामित्रों के वेतन भुगतान के कड़े निर्देश दिए।
असल में हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन में महीनों इस पर मंथन चला था कि कोर्ट के आदेश के पहले का वेतन कैसे जारी हो। शासन के निर्देश के बाद परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह शिक्षामित्रों के किन्हीं दो अभिलेखों का सत्यापन कराकर उनके देयक का भुगतान कर दिया जाए। सचिव ने यह भी निर्देश दिया कि सारा भुगतान 10 फरवरी तक कर दिया जाए। माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया कि वह सत्यापन के कार्य को प्राथमिकता देकर जल्द उसे पूरा कराएं।
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