ढिलाई : फिर बिना किताब शुरू होंगे स्कूल, पहली अप्रैल से सत्र और अभी किताब नीति तक नहीं बनी, पुरानी खामियों से नहीं ली सीख
लखनऊ: प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों का नया सत्र फिर बिना किताबों के ही शुरू होगा। इसकी वजह है कि अभी सरकार ने पाठ्य-पुस्तक नीति ही जारी नहीं की है। नीति जारी होने के बाद भी टेंडर, किताबों की छपाई और वितरण में चार महीने का समय लगेगा। ऐसे में एक अप्रैल से शुरू हो रहे नए सत्र तक किताबें छपना संभव नहीं है। जल्द किताब छपने की प्रक्रिया शुरू न हुई तो जुलाई में दोबारा स्कूल खुलने तक भी बच्चों को किताबें मिलना मुश्किल होगा।
बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा का कहना है कि जल्द ही शासनादेश जारी होने का अनुमान है। जैसे ही शासनादेश हो जाएगा, किताबों की छपाई का काम शुरू हो जाएगा। छपाई और वितरण में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
जो किताब छापेगा, वही कवर पेज
सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को मुफ्त किताबें दी जाती हैं। उसके लिए सरकार हर साल पुस्तक नीति जारी करती है। इस साल कवर पेज और किताबों के कागज में कुछ बदलाव प्रस्तावित हैं। अभी तक कवर पेज सिक्युरिटी प्रिंटर्स छापते थे। किताबें दूसरे प्रकाशकों को छापने के लिए दी जाती थीं। इस साल दोनों काम एक ही प्रिंटर को दिए जाने की योजना है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि किताबें छपने में वक्त बचेगा लेकिन इस पर निर्णय लेने में ही लगातार देर होती जा रही है।
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