वित्तीय अनुदान देना या न देना सरकार का नीतिगत मामला और यह सब सरकार के खजाने पर निर्भर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की खारिज
इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को शिक्षा देना उनका अधिकार है, परंतु इसका यह मतलब नहीं है कि सरकार प्रदेश के सभी एससी/एसटी विद्यालय को वित्तीय अनुदान पर ले ले।
विद्यालय को वित्तीय अनुदान पर लेना अथवा न लेना सरकार का नीतिगत मसला है और यह सब सरकार के खजाने पर निर्भर करता है। इस कारण कोर्ट सरकार को सभी एससी/एसटी गैर अनुदानित स्कूलों को वित्तीय अनुदान पर लेने का आदेश जारी नहीं कर सकती। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने अनुसूचित जनजाति प्राथमिक विद्यालय शिक्षक कल्याण समिति उत्तर प्रदेश की जनहित याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि प्रदेश में कई अनुसूचित जनजातियों के विद्यालय है, परंतु उनके स्कूलों को सरकार वित्तीय अनुदान पर नहीं ले रही है। जिस कारण ऐसे स्कूल वित्तीय अनुदान के अभाव में बंदी के कगार पर हैं। कहा गया था कि कमोबेश यही स्थिति अनुसूचित जाति के स्कूलों की भी है। उन्हें भी अनुदान नहीं मिल पा रहा है। हाईकोर्ट का कहना था कि स्कूलों को अनुदान पर लेना व न लेने का सरकार का नीतिगत मामला है और यह सब आर्थिक मामलों से जुड़े मुद्दे हैं। कोर्ट सरकार को इसके लिए विवश नहीं कर सकती। न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी है।
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