बारहवीं तक के शिक्षकों को पढ़ना भी होगा जरूरी, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सिद्दीकी कमेटी ने की सिफारिश, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय कर रहा विचार

देशभर के स्कूलों में तैनात बारहवीं तक के शिक्षकों को अब पढ़ाने के साथ ही पढ़ना भी अनिवार्य होगा। केंद्र सरकार द्वारा गठित सिद्दीकी कमेटी ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह संस्तुति की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रलय को सौंप दी है और इस पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है।

एनसीटीई के पूर्व चेयरमैन प्रो. एमए सिद्दीकी की अगुवाई में गठित पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्राथमिक शिक्षा देश के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है और इस पर सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे में देशभर में कक्षा एक से लेकर बारहवीं तक के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार लाने की पहल करनी होगी। दूरस्थ माध्यम से शिक्षकों के स्व विकास की व्यवस्था होनी चाहिए।

कमेटी ने संस्तुति की है कि प्रत्येक शिक्षक को दूरस्थ माध्यम से सालभर में 240 घंटे अनिवार्य तौर पर स्व अध्ययन करना होगा।

पढ़ाने के साथ कर सकेंगे एमएड :
सिद्दीकी कमेटी ने बीएड कर स्कूलों में पढ़ा रहे अध्यापकों को ओडीएल (ऑनलाइन डिस्टेंस लर्निग) मोड में एमएड करने की छूट देने की संस्तुति भी की है। कमेटी ने कहा है कि इन सर्विस शिक्षकों के एमएड करने पर जस्टिस वर्मा कमीशन के सुझावों पर समीक्षा करने की जरूरत है। 2014 तक बीएड करने के बाद सेवारत शिक्षक ओडीएल मोड में एमएड कर सकते थे पर जस्टिस वर्मा कमीशन के सुझावों के बाद इस पर रोक लगा दी गई थी।

शोध को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च विंग जरूरी : सिद्दीकी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में शोध को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया है।

बारहवीं तक के शिक्षकों को पढ़ना भी होगा जरूरी, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सिद्दीकी कमेटी ने की सिफारिश, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय कर रहा विचार Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 6:54 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.