आखिर बेसिक शिक्षा विभाग को मिली राहत: हाई कोर्ट ने हटाई निःशुल्क पाठ्य पुस्तक टेंडर आवंटन पर रोक, पर्यावरण के अनुकूल कागज ही इस्तमाल करने के निर्देश
लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग को बड़ी राहत देते हुए हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क वितरित की जाने वाली पाठ्य पुस्तकों की सप्लाई के टेंडर आवंटन पर लगी रोक को हटा लिया है। न्यायालय ने यह आदेश फाइबर मार्क्स पेपर्स प्राइवेट लिमिटेड और राम राजा प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स की याचिका को खारिज करते हुए दिया।
न्यायालय ने किताबों में पर्यावरण के अनुकूल कागज ही इस्तमाल करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2016-17 में विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तक वितरण के लिए नए टेंडर आमंत्रित किए थे। इसमें बांस व लकड़ी से बने वर्जिन पल्प कागज के इस्तमाल की अनिवार्यता लगा दी गई थी। याचियों ने इस शर्त को चुनौती देते हुए दलील दी कि मानकों के अनुसार इन किताबों की छपाई के लिए पर्यावरण के अनुकूल कागज ही इस्तमाल किया जा सकता है। बांस और लकड़ी से बने वर्जिन पल्प कागज के इस्तमाल की शर्त पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल नहीं है।
याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने 29 अप्रैल को टेंडर प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति देते हुए इसे अंतिम रूप दिए जाने पर रोक लगा दी थी। 31 मई को मामले पर निर्णय देते हुए न्यायमूर्ति एपी शाही और न्यायमूर्ति एआर मसूदी की खंडपीठ ने कहा कि संबंधित पॉलिसी में ईको-मार्क की अनिवार्यता नहीं है। राज्य सरकार के पास बेहतर विकल्प हो सकते हैं, लेकिन इस मामले में न्यायालय सरकार को राय नहीं दे सकता। लिहाजा कागजों की छपाई के लिए कच्चे माल में बदलाव के सरकार के निर्णय को मनमाना नहीं कहा जा सकता। हालांकि न्यायालय ने कहा कि सरकार किताबों में ऐसे ही कागजों का इस्तमाल करे जो इसके उपयोगकर्ताओं के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह न हो।
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