दिव्यांग बच्चों के लिए खोले जाएंगे 'बचपन' नाम से प्राइमरी स्कूल, संवरेगा दिव्यांगों का बचपन, बजट जारी होते ही शुरू होगा काम
लखनऊ: यूपी में सामान्य बच्चों की तरह अब दिव्यांगों को भी प्राइमरी एजुकेशन दी जाएगी। इसके लिए दिव्यांग सशक्तीकरण विभाग 'बचपन' नाम से प्राइमरी स्कूलों की चेन शुरू करेगा। इसमें तीन से सात साल तक के दिव्यांग बच्चों को प्री-एजुकेशन देकर मेन स्ट्रीम के लिए तैयार किया जाएगा। शासन ने इस योजना को हरी झंडी भी दे दी है। इसके लिए जल्द ही बजट जारी कर दिया जाएगा।
राजधानी समेत सभी जिलों में अभी तक दिव्यांग बच्चों के लिए प्री-एजुकेशन की सुविधा नहीं है। 9वीं व 10वीं के स्कूलों में सात साल के बाद दाखिला लेकर ही इन्हें पढ़ाया जाता है। इसीलिए सरकार के निर्देश पर दिव्यांग सशक्तीकरण विभाग ने दिव्यांग बच्चों को प्री-एजुकेशन देने का फैसला किया है। अब दिव्यांग बच्चों को भी सामान्य बच्चों की तरह नर्सरी से लेकर पांचवीं तक की शिक्षा अलग स्कूलों में दी जाएगी। दिव्यांग बच्चों को जिन स्कूलों में शिक्षित किया जाएगा, उसे 'बचपन' नाम दिया गया है। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के उप निदेशक मधुरेंद्र कुमार पर्वत ने बताया कि स्कूल में तीन से लेकर सात साल तक के दिव्यांग बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा। इनमें मानसिक मंदित भी शामिल होंगे। इसके अलावा उन बच्चों को भी शामिल किया जाएगा जिनकी सुनने व देखने की क्षमता सामान्य बच्चों जैसी नहीं होती है।
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार से हरी झंडी मिल गई है, लेकिन बजट अभी जारी नहीं हुआ है। प्रदेश के किन जिलों में कितने विद्यालय बनवाए जाएं, यह बजट के आने के बाद उसी आधार पर तय किया जाएगा। स्कूल के लिए स्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। विदेश में चल रहे दिव्यांगों के लिए प्राइमरी एजुकेशन के स्कूलों से भी मदद ली जा रही है।
'बचपन' में बच्चों को पढ़ाने के लिए स्पेशल एजुकेशन हासिल करने वाले टीचरों को ही रखा जाएगा। अभी तक सात साल के बाद बच्चे दिव्यांगों के लिए संचालित स्कूलों में जाते थे और प्राथमिक स्तर की एजुकेशन हासिल करना शुरू करते थे। 'बचपन' में एजुकेशन देने के बाद अब उन्हें सीधे मेन स्ट्रीम के विद्यालयों में दाखिला मिलेगा और वे छठवीं से आगे की पढ़ाई शुरू कर सकेंगे। इसके पीछे विभाग का मकसद है कि जो पढ़ाई वे सात साल बाद शुरू करते थे, वहीं अब उन्हें सामान्य बच्चों की तरह तीन साल से ही पढ़ाया जाएगा। इसके लिए उन्हीं शिक्षकों को रखा जाएगा जो दिव्यांगों को बेहतर शिक्षा देने में दक्ष होंगे।
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