फर्जी बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं कर रहे बीएसए, बेसिक शिक्षा परिषद मुख्यालय का आदेश भी हो रहा दरकिनार, अब तक केवल दस जिलों ने भेजी रिपोर्ट बाकी को हिदायत
इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा अधिकारी विभागीय अफसरों पर भारी पड़ रहे हैं। सामान्य निर्देशों को छोड़िए परिषद मुख्यालय से फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई करने को कहा, उसमें भी आनाकानी हो रही है। निर्देशों के एक माह बाद भी सिर्फ दस जिलों ने परिषद सचिव के आदेश का अनुपालन किया है, बाकी पर विभाग ने कार्रवाई न करके सिर्फ हिदायत देते हुए कार्रवाई करने की समय सीमा बढ़ा दी है। ऐसे में फर्जीवाड़ा करने वालों पर प्रभावी कार्रवाई की उम्मीद नहीं है।
★ क्लिक करके देखें, बीएसए को जारी कड़े निर्देश और प्रक्रिया का पालन करने का आदेश:
■ डॉ0 भीमराव अम्बेडकर वि0वि0 आगरा के बीएड सत्र 2004-05 की पुलिस जांच के सम्बन्ध में 15 नवम्बर तक सूची प्रेषित करने एवं निर्धारित प्रारूप पर नोटिस जारी करने का आदेश, नोटिस प्रारूप सह आदेश देखें
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक भर्ती में फर्जी अभिलेखों के जरिये 4570 शिक्षकों ने नियुक्ति पा ली है। यह खेल करने वाले अभ्यर्थियों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से 2004-05 सत्र से बीएड किया है। इसका राजफाश पिछले दिनों एसटीएफ ने किया है। परिषद ने इन शिक्षकों पर नियमानुसार विधिक व विभागीय कार्रवाई करने के लिए बीते 12 अक्टूबर को सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेजा। इसके साथ एक सीडी भी उपलब्ध कराई गई, ताकि फर्जी शिक्षकों को चिह्न्ति करने में आसानी रहे।
परिषद सचिव संजय सिन्हा ने बीते 28 अक्टूबर को बीएसए को दूसरा पत्र जारी करके निर्देश दिया कि विधिक व विभागीय कार्रवाई से 10 नवंबर तक परिषद को भी अवगत कराया जाए।1परिषद कार्यालय के अनुसार इस दौरान सिर्फ फीरोजाबाद, हमीरपुर, औरैया, बलरामपुर, बस्ती, बदायूं, चंदौली, कन्नौज, जौनपुर व मऊ के बीएसए ने ही रुचि दिखाकर रिपोर्ट भेजी है, बाकी 65 जिले अब भी इस प्रक्रिया से दूर हैं। परिषद ने इन बीएसए पर कोई कार्रवाई न करके उनकी कार्यशैली पर खेद जताया है और रिपोर्ट भेजने की समय सीमा बढ़ाकर 15 नवंबर कर दिया है।
बताते हैं कि कई बीएसए फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए नोटिस का प्रारूप मांग रहे थे, इस बार परिषद ने सभी जिलों को प्रारूप भेज दिया है। आदेश में फिर कहा गया है कि शिथिलता बरतने पर वह खुद जिम्मेदार होंगे। हालत यह मामला न्यायालय, पुलिस महकमे व शिक्षा विभाग की प्राथमिकता में है, फिर भी आदेश नहीं माना जा रहा है।
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