खण्ड शिक्षा अधिकारियों के प्रमोशन पर पेंच, राजकीय विद्यालयों में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति दिए जाने के विरोध पर डीपीसी स्थगित
■ खंड शिक्षा अधिकारियों को प्रधानाचार्य पद दिए जाने पर विरोध
■ 391 पदों पर होने वाली डीपीसी फिलहाल स्थगित
लखनऊ : प्रदेश में राजकीय विद्यालयों के प्रधानाचार्य और समकक्ष पदों पर होने वाली प्रोन्नतियां को लेकर नया पेंच खड़ा हो गया है। राजकीय शिक्षक संघ ने प्रधानाचार्य पदों पर एसडीआइ संवर्ग को शामिल किए जाने पर जताया है। संघ का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा में प्रधानाचार्य पदों पर इनका कोटा नहीं होना चाहिए। इनको केवल बेसिक शिक्षा के पदों पर कोटा मिलना चाहिए। संघ ने इस मुद्दे को लेकर शिक्षा निदेशक व अन्य अधिकारियों से मुलाकात की है। इस बीच छह दिसंबर को होने वाली डीपीसी स्थगित कर दी गई है।
गौरतलब है कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में 2003 के बाद डीपीसी नहीं हुई है। प्रदेश के लगभग हर विद्यालय में कामचलाऊ प्रधानाचार्य हैं। वर्तमान में शैक्षिक सेवा संवर्ग समूह ‘ख’ उच्चतर राजपत्रित में प्रमोशन शाखा के 609 पद बनते हैं। इनमें विभाग 391 पदों पर ही प्रमोशन की कार्रवाई की जा रही है।
रिक्त पदों के सापेक्ष संवर्गवार कोटा 61 प्रतिशत पुरुष प्रधानाध्यापक, 22 प्रतिशत महिला प्रधानाध्यापिका, 17 प्रतिशत डीआइ निर्धारित है। राजकीय शिक्षक संघ का आरोप है कि एसडीआइ संवर्ग प्रधानाध्यापक पदों को हड़प रहा है। उनका कोटा 17 प्रतिशत होने के बावजूद 109 पदों की गोपनीय आख्या मांगी गई है जबकि पुरुष प्रधानाध्यापक कोटा 61 प्रतिशत होने के बावजूद मात्र 93 पदों की गोपनीय आख्या मांगी गई। इसमें नियमों को ताख पर रख दिया गया है।
राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष पीएन पांडेय के अनुसार एसडीआई संवर्ग ने क्लास-2 प्रधानाचार्य पदों पर प्रमोशन के लिए 50 प्रतिशत कोटे की मांग रखी है जो कहीं से भी तार्किक नहीं है। एसडीआइ संवर्ग बेसिक का पद है। माध्यमिक शिक्षा में प्रधानाचार्य पदों पर इनका कोटा होना ही नहीं चाहिए।
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