बेसहारा और अनाथ बच्चे सीखेंगे देश की रक्षा करना, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और सशस्त्र सीमा बल की महत्वकांक्षी योजना
देश के हजारों अनाथ बच्चों की किस्मत आने वाले दिनों में बदल सकती है। एनसीपीसीआर (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राईटस) और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) की महत्वाकांक्षी योजना सही तरीके से लागू हो गई तो अगले कुछ सालों में इन हजारों अनाथ बच्चों के जिम्मे देश की सीमा की हिफाजत करने के साथ ही एसएसबी के अंदर अलग-अलग कामों को अंजाम देने का का जिम्मा रहेगा। इसकी शुरुआत दिसंबर में असम से की जाएगी, जिसके बाद बॉर्डर के बाकी राज्यों में एसएसबी, बाल गृहों के बच्चों को बताएगी कि किस तरह वे आर्मी जॉइन कर सकते हैं और इसकी तैयारी कर सकते हैं।
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■ 10 हजार बच्चों को लाभ
एसएसबी और एनसीपीसीआर के इस प्रोजेक्ट से लगभग 10 हजार बच्चों को लाभ होगा। 15 से 18 साल के उम्र के बीच के बच्चों की लिस्ट बनायी जा रही है और इस महीने के अंत तक एसएसबी को पूरी लिस्ट मिल जाएगी। इसके बाद उन बच्चों को अलग-अलग सेंटर पर भेज दिये जाएंगे। एसएसबी का ट्रेनिंग सेंटर मुख्य रूप से भारत-भूटान-चीन और भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में ही है। बाल गृहों (चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूट्स, CCI) में वे बच्चे रहते हैं जिन्हें देखरेख और सुरक्षा की जरूरत होती है। ये वे बच्चे होते हैं जिनका या तो परिवार नहीं होता या फिर वह किसी वजह से परिवार से बिछड़ गए होते हैं। सीसीआई इन्हें परिवार से मिलाने की कोशिश भी करता है।
एनसीपीसीआर अब इस कोशिश में है कि इन बच्चों को इस तरह तैयार किया जाए जिससे कि जब ये बच्चे सीसीआई से बाहर निकलें तो अपने पैरों पर खड़े हो सकें। 18 साल से कम उम्र के बच्चे ही सीसीआई में रह सकते हैं। होम मिनिस्ट्री सूत्रों के अनुसार इस प्रोजेक्ट से मिले परिणाम के बाद इसे दूसरे फोर्स में लागू करने पर विचार हो सकता है। आयोग की सदस्य रूपा कपूर ने बताया कि एसएसबी बॉर्डर इलाकों में कम्युनिटी वेलफेयर के लिए भी काम करती है और तरह तरह के जागरूकता अभियान भी चलाती है। हमने अब एसएसबी से बॉर्डर इलाकों में बने सीसीआई अडॉप्ट करने के लिए बात की है, जिससे लिए एसएसबी तैयार है। हम एसएसबी के साथ सीसीआई की और यहां रह रहे 14 से 18 साल के बच्चों की लिस्ट शेयर कर रहे हैं। एनसीपीसीआर ने उनसे कहा है कि इसके जरिए चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज के खिलाफ भी अवेयरनेस कैंपेन चलाएं। साथ ही पोक्सो ई-बॉक्स के बारे में भी लोगों को बताएं।
■ सीमावर्ती इलाकों में शुरू होगा प्रोजेक्ट
एसएसबी सूत्रों के अनुसार पहले चरण में आधे दर्जन सीमावर्ती जिलों में इस कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा। असम,पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा रहा है। एसएसबी के सीनियर अधिकारियों के अनुसार अभी सैकड़ों बच्चों की परख शुरू भी हो चुकी है। इनके अनुसार एनसीपीसीआर इन अनाथ बच्चों को भेजेगा। इसके बाद इन बच्चों की क्षमता की जांच होगी। एसएसबी की ओर से बनायी गई योजना के अनुसार इन बच्चों को जवान बनने से लेकर खाना बनाने, बिजली, हॉस्पिटिलिटी या कैंप के अंदर होने वाले तमाम कामों में उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार परखा जाएगा। उनका चयन कर उन्हें दो से तीन साल ट्रेनिंग दी जाएगी। एसएसबी का दावा है कि यह सबसे अनूठी और पहली ऐसी योजना है जहां अनाथ बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए इतने बड़े पैमाने पर अभियान आयोजित किया गया है।
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