परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदलने के लिए गोद लेने में जिम्मेदार हुए फिसड्डी, केवल 16 जिलों ने ही पार किया सौ का आंकड़ा
स्कूल गोद लेने में बड़े शहर वालों का दिल छोटा, बांदा सबसे आगे, गोरखपुर व लखनऊ जैसे महानगर भी बहुत पिछड़े
परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदलने के लिए गोद लेने में जिम्मेदार हुए फिसड्डी, केवल 16 जिलों ने ही पार किया सौ का आंकड़ा
लखनऊ : प्रदेश के परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदलने का संकल्प लेने के लिए जिम्मेदार भी आगे नहीं आ रहे। इन स्कूलों को गोद लेने के लिए शासन द्वारा अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों संग स्वयंसेवी संस्थाओं से की गई अपील कई जिलों में कारगर साबित नहीं हो रही। कई बड़े शहर वालों का दिल ही इस मुहिम के लिए छोटा पड़ रहा है।
स्थिति यह है कि अब तक बांदा में सर्वाधिक 199 स्कूलों को गोद लिया गया है। कानपुर व बरेली महानगर भी अग्रिम पंक्ति में हैं। लखनऊ में 35 और गोरखपुर में दस से कम स्कूल गोद लिए गए हैं। शामली सबसे पीछे है। वहां मात्र दो स्कूल गोद लिए गए हैं। कुल 75 में 16 जिले ही ऐसे हैं, जहां सौ या इससे अधिक स्कूलों को गोद लिया गया है।
यह स्थिति तब है जब शासन स्तर से लगातार समीक्षा करके इस ओर प्रयास के लिए कहा जा रहा है। इसी महीने की शुरुआत में हुई प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की समीक्षा में सामने आया था कि प्रदेश में मात्र 2223 परिषदीय विद्यालयों को ही राजपत्रित अधिकारियों द्वारा गोद लिया गया है। इसके बाद शासन ने इस दिशा में और प्रयास करने और अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों प्राइवेट संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं को विद्यालय गोद लेने के लिए प्रेरित करने को कहा था। इसके बाद कुछ जिलों में रफ्तार बढ़ी पर अपेक्षाकृत बहुत ही कम सुधार देखने को मिला। कुछ दिन पहले जारी प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की ही दूसरी समीक्षा बैठक के कार्य वृत्त में फिर इस पर चिंता जताई गई।
इन जिलों में दस भी कम स्कूल लिए गए गोद: शामली-2, मुजफ्फरनगर व रायबरेली में 6-6, प्रतापगढ़ व गोरखपुर में 7-7, महराजगंज-8, फिरोजाबाद- 9
50 से कम संख्या वाले लगभग दो दर्जन जिले
गोंडा- 11, प्रयागराज व एटा 14-14, अलीगढ़ व बलिया में 12-12, हापुड़, हरदोई, बुलंदशहर में 19-19, सीतापुर- 20, रामपुर- 25, अंबेडकरनगर- 29, बहराइच-30, लखीमपुर खीरी 31, श्रावस्ती व बागपत में 32-32, लखनऊ-35, महोबा व अमेठी में 37 37, झांसी- 39, कानपुर देहात- 40, सोनभद्र- 47, चित्रकूट- 48
यहां संख्या सौ से कम
कौशांबी - 49, फतेहपुर- 50, कुशीनगर-51, अयोध्या- 52, उन्नाव- 53, सहारनपुर व गौतमबुद्धनगर में 53-53, संतकबीरनगर व देवरिया में 59-59, जालौन 60, कन्नौज-65, कासगंज व आजमगढ़ में 67-67, अमरोहा 69, वाराणसी व गाजियाबाद में 72-72, ललितपुर- 74, मेरठ - 75, आगरा- 77, गाजीपुर 78, चंदौली - 81, संभल व मुरादाबाद में 82 82, बस्ती- 85, बिजनौर-88, बलरामपुर- 89, भदोही- 94, सिद्धार्थनगर- 95, सुल्तानपुर 98, हाथरस 99
यहां स्थिति सम्मानजनक
औरैया व मऊ में 100-100, मिर्जापुर- 101, पीलीभीत- 103, इटावा- 108 बाराबंकी- 113, हमीरपुर व बदायूं में 114-114, बरेली-122, मथुरा 126, मैनपुरी 146, फर्रुखाबाद- 147, शाहजहांपुर 150, जौनपुर 181, कानपुर- 188, बांदा- 199
परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदलने के लिए गोद लेने में जिम्मेदार हुए फिसड्डी, केवल 16 जिलों ने ही पार किया सौ का आंकड़ा
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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6:12 AM
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