लाभार्थीपरक योजना निःशुल्क यूनीफार्म, स्वेटर, स्कूल बैग एवं जूता-मोजा" के फीडबैक के सम्बन्ध में।
पुरानी यूनिफार्म ठीक तो क्यों खरीदें नई? मुख्यमंत्री हेल्पलाइन द्वारा DBT योजना का फीडबैक लेने पर अभिभावकों द्वारा दिए गए किस्म किस्म के तर्क
सीएम ऑफिस से अभिभावकों को आ रहा फोन, पूछा जा रहा कब खरीदी यूनिफार्म?
🔴 किस्म-किस्म के तर्क
● कई लोगों ने कहा- पिछले वर्ष खरीदी गई यूनिफार्म इस्तेमाल के योग्य
● कई ने बताया कि 1100 रुपये की धनराशि इतना सामान खरीदने के लिए कम
● कई ने बताया कि सामान नहीं मिला
मुख्यमंत्री कार्यालय ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को यूनिफार्म, स्वेटर, स्कूल बैग व जूते-मोजे खरीदने के लिए दिए गये अनुदान की जांच शुरू कर दी है। अब बजट के उपयोग की पड़ताल सीएम कार्यालय ने शुरू कर दी है। इसके लिए अभिभावकों से उनके मोबाइल पर कॉल करके फीडबैक लिया गया है, इसमें लोगों से बजट के सदुपयोग के बारे में जानकारी ली गई। इस दौरान अभिभावकों ने तरह-तरह के जवाब दिए। किसी ने अभी बैंक खाता ही नहीं देखने की बात कही तो किसी ने धनराशि कम होने या पुरानी सामग्री के उपयोग की बात भी कही है।
बेसिक शिक्षा से दिए गये बजट की जांच के दौरान सवाल पर कुछ अभिभावकों ने कहा कि पिछले वर्ष की यूनिफार्म अभी पहनी जा सकती है तो क्यों खरीदी जाए। 1,100 रुपये में इतनी चीजें भला कैसे खरीदी जा सकती हैं। किसी ने कहा कि घर में समस्याएं थीं, इस वजह से बताई गई सामग्री नहीं खरीद पाए। ऐसे में जो धनराशि मिली उसका उपयोग दूसरे काम में कर लिया। ये बातें मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से योजना का फीडबैक लेने पर सामने आईं हैं।
इस आधार पर कार्रवाई के लिए जिले को आवश्यक निर्देश दिए गये हैं। इसके तहत स्कूल खुलने पर अभिभावकों को जागरूक किया जाना है कि वे अनुदान का सदुपयोग करें। जिन अभिभावकों को अनुदान नहीं मिला, उसका भी कारण सीएम कार्यालय ने पूछा है। 16 जून के बाद अधिकारी छात्र-छात्राओं का सत्यापन करेंगे कि उन्होंने सामग्री ली है या नहीं। इसकी पड़ताल में सबसे ज्यादा जोर यूनिफार्म पर है। इसके बाद स्कूल बैग और फिर स्वेटर के साथ ही जूते-मोजे की पड़ताल होगी।
परिषदीय स्कूलों के छात्र-छात्राओं को नए सत्र में भी सामग्री क्रय करने के लिए अनुदान मिलना है। इसके लिए पूर्व में मिले अनुदान के सदुपयोग का सत्यापन किया जा रहा है। जिससे नए सत्र में अनुदान देने की कार्रवाई हो सके। बताया जा रहा है कि 1,100 रुपये का अनुदान पूरी सामग्री के लिए दिया जा रहा है। जो अभिभावक कम बता रहे हैं, उनका कहना है कि यदि पूरी सामग्री ली जाए तो तीन हजार से अधिक की धनराशि खर्च होगी।
लखनऊ : पिछले वर्ष की यूनिफार्म अभी पहनी जा सकती है तो क्यों खरीदी जाए? 1100 रुपये में कहां इतनी चीजें कैसे खरीदी जा सकती हैं? घर में समस्याएं थीं तो नहीं खरीद पाए। ...ये और ऐसे ही कुछ कारण अभिभावक यूनिफार्म समेत अन्य समान न खरीद पाने के बता रहे हैं।
ये तथ्य मुख्यमंत्री हेल्पलाइन द्वारा योजना का फीडबैक लेने पर सामने आए हैं, जिस पर अब भी 20 हजार मामलों में कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस फीडबैक के तहत कुल 186301 अभिभावकों से बात की गई थी। जिसमें से 66455 अभिभावकों ने पैसा न मिलने की शिकायत की थी। इनमें प्राप्त फीडबैक को संबंधित बीएसए को आईजीआरएस (लॉगिन) में दिया गया था। जिस पर बीएसए को कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट लगानी थी लेकिन अभी तक शत प्रतिशत मामलों में विभाग ने रिपोर्ट नहीं दी है। अब भी 20639 मामले ऐसे हैं, जिसमें बीएसए ने रिपोर्ट नहीं लगाई है।
अब मुख्यमंत्री कार्यालय ने बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर रिपेार्ट तलब की है। कुल 186301 लाभार्थियों से फीडबैक लिया गया था, जिसमें से 105201 अभिभावकों को धनराशि उन्हें मिल चुकी है। वहीं 66455 अभिभावकों ने धनराशि प्राप्त न होने की शिकायत की।
लाभार्थीपरक योजना निःशुल्क यूनीफार्म, स्वेटर, स्कूल बैग एवं जूता-मोजा" के फीडबैक के सम्बन्ध में।
लाभार्थीपरक योजना निःशुल्क यूनीफार्म, स्वेटर, स्कूल बैग एवं जूता-मोजा" के फीडबैक के सम्बन्ध में।
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
on
6:12 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment