परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहे तकरीबन 20 हजार शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करनी होगी, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से स्थिति हुई साफ

इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे तकरीबन 20 हजार शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करनी ही होगी। शिक्षामित्रों के लिए टीईटी की अनिवार्यता पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद साफ हो गया है कि न्यूनतम अर्हता पूरी नहीं करने वाले इन शिक्षकों के लिए भी टीईटी करना अनिवार्य है।




देश में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई)-2009 एक अप्रैल 2010 से लागू हुआ था। जबकि उत्तर प्रदेश में 27 जुलाई 2011 को आरटीई लागू किया गया। एनसीटीई ने शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता संबंधी मानक की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 को जारी की थी।




23 अगस्त 2010 से 27 जुलाई 2011 के बीच बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी, उर्दू बीटीसी करने वाले लगभग 20 हजार प्रशिक्षुओं की नियुक्ति सहायक अध्यापक पद पर बगैर टीईटी की गई थी। एनसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार 23 अगस्त 2010 के बाद जो भी शिक्षक बगैर टीईटी भर्ती हुए हैं उनकी नियुक्ति गैरकानूनी है।




बगैर टीईटी नियुक्ति के लिए ये 20 हजार शिक्षक जिम्मेदार नहीं हैं। तत्कालीन बसपा सरकार ने अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में संशोधन करते हुए 9 नवंबर 2011 को शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी को अनिवार्य किया था। सेवा नियमावली में संशोधन नहीं होने के कारण ही 23 अगस्त 2010 से 27 जुलाई 2011 के बीच इन शिक्षकों की नियुक्ति हो गई थी।

परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहे तकरीबन 20 हजार शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करनी होगी, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से स्थिति हुई साफ Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 8:24 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.