यूनिफार्म खरीद में कमीशन लेने संबंधी सरकारी आदेश में की गई टिप्पणी से ड्रेस वितरण से अलग हो गए खंड शिक्षा अधिकारी

इलाहाबाद : कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए नि:शुल्क यूनिफार्म खरीद में कमीशन लेने संबंधी सरकारी आदेश में की गई टिप्पणी से खंड शिक्षाधिकारियों में जबर्दस्त आक्रोश है। बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह के 30 जून के पत्र से आहत खंड शिक्षाधिकारियों ने यूनिफार्म वितरण की प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया है।




उत्तर प्रदेशीय विद्यालय निरीक्षक संघ ने एक जुलाई को बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल को पत्र लिखकर टिप्पणी की निंदा करते हुए खंडन की मांग की है। संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक ललिता प्रदीप ने बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से चार जुलाई को सभी मंडलीय बेसिक शिक्षा निदेशकों व बीएसए को यूनिफार्म क्रय प्रक्रिया को दूषित कर रहे और विद्यालय प्रबंध समिति व शिक्षकों से अवैध धन मांग रहे कुछ खंड शिक्षाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।



अपर मुख्य सचिव ने 30 जून को सभी डीएम को भेजे पत्र में हिदायत दी थी कि बच्चों को गुणवत्तायुक्त यूनिफार्म उपलब्ध कराई जाए। पत्र के अनुसार-‘शासन के संज्ञान में यह आया है कि जनपदों के कतिपय खंड शिक्षाधिकारी नि:शुल्क यूनिफार्म की क्रय प्रक्रिया को दूषित कर रहे हैं और विद्यालय प्रबंध समिति एवं अध्यापकों से अवैध रूप से धन की मांग कर रहे हैं। यदि कोई अधिकारी क्रय प्रक्रिया को दूषित करने या अवैध धन की मांग करने में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करते हुए शासन को अवगत कराएं। ‘हिन्दुस्तान’ ने तीन जुलाई को ‘ड्रेस वितरण में कमीशन पर खैर नहीं’ शीर्षक समाचार प्रकाशित किया था।

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