बीटीसी : प्रवेश पर अनिर्णय से लटका नया सत्र, एससीईआरटी का प्रस्ताव शासन स्तर पर महीनों से लंबित
लखनऊ : बीटीसी कॉलेजों को अपने स्तर से ही दाखिले देने की छूट
देने के प्रस्ताव पर अनिर्णय की स्थिति के चलते बीटीसी 2014 की प्रवेश
प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पायी है। बीटीसी सत्र की प्रवेश प्रक्रिया एक
साल से पीछे चल रही है। बीटीसी का जो सत्र जुलाई 2014 में शुरू हो जाना
चाहिए था, उसे शुरू करने के प्रस्ताव को ही मंजूरी नहीं मिल पायी है।
बीटीसी कॉलेजों को संबद्धता जारी करने की जिम्मेदारी शासन पर है जबकि कॉलेजों में परीक्षाएं कराने का दायित्व राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के अधीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी पर है। बीटीसी कोर्स के संचालन और सत्र नियमन के बारे में अब तक कोई नियमावली नहीं बन सकी है। इस वजह से कॉलेजों को सत्र शुरू होने के कई महीने बाद तक संबद्धता जारी करने का सिलसिला चलता रहता है। संबद्धता मिलने के बाद एससीईआरटी की ओर से कॉलेजों को प्रशिक्षणार्थी आवंटित किए जाते हैं। इसमें विलंब होता है। अक्सर आरक्षित वर्ग के प्रशिक्षणार्थी न मिल पाने के कारण कॉलेज अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं जिससे बेसिक शिक्षा विभाग पर मुकदमों का दबाव बढ़ता है।
इस समस्या से निपटने के लिए एससीईआरटी ने बीटीसी कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करने का प्रस्ताव पिछले साल नवंबर में शासन को भेजा था। प्रस्ताव में कहा गया था कि कॉलेजों को एससीईआरटी की ओर से प्रशिक्षणार्थी आवंटित करने की व्यवस्था को खत्म कर कॉलेजों को अपने स्तर पर ही छात्रों को दाखिले देने का अधिकार दे दिया जाए। कॉलेज विज्ञापन प्रकाशित कर छात्रों से आवेदन आमंत्रित करें और मेरिट के आधार पर उन्हें दाखिला दें। अलबत्ता कॉलेजों में परीक्षाओं के संचालन के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी ही पूर्व की भांति नियंत्रक संस्था होगी। महीनों बीतने के बाद भी यह प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है।
बीटीसी कॉलेजों को संबद्धता जारी करने की जिम्मेदारी शासन पर है जबकि कॉलेजों में परीक्षाएं कराने का दायित्व राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के अधीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी पर है। बीटीसी कोर्स के संचालन और सत्र नियमन के बारे में अब तक कोई नियमावली नहीं बन सकी है। इस वजह से कॉलेजों को सत्र शुरू होने के कई महीने बाद तक संबद्धता जारी करने का सिलसिला चलता रहता है। संबद्धता मिलने के बाद एससीईआरटी की ओर से कॉलेजों को प्रशिक्षणार्थी आवंटित किए जाते हैं। इसमें विलंब होता है। अक्सर आरक्षित वर्ग के प्रशिक्षणार्थी न मिल पाने के कारण कॉलेज अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं जिससे बेसिक शिक्षा विभाग पर मुकदमों का दबाव बढ़ता है।
इस समस्या से निपटने के लिए एससीईआरटी ने बीटीसी कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करने का प्रस्ताव पिछले साल नवंबर में शासन को भेजा था। प्रस्ताव में कहा गया था कि कॉलेजों को एससीईआरटी की ओर से प्रशिक्षणार्थी आवंटित करने की व्यवस्था को खत्म कर कॉलेजों को अपने स्तर पर ही छात्रों को दाखिले देने का अधिकार दे दिया जाए। कॉलेज विज्ञापन प्रकाशित कर छात्रों से आवेदन आमंत्रित करें और मेरिट के आधार पर उन्हें दाखिला दें। अलबत्ता कॉलेजों में परीक्षाओं के संचालन के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी ही पूर्व की भांति नियंत्रक संस्था होगी। महीनों बीतने के बाद भी यह प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है।
- सिफारिश पर मांगा स्पष्टीकरण
राज्य स्तरीय समिति ने 81 और
निजी कॉलेजों को बीटीसी पाठ्यक्रम की संबद्धता देने की शासन से सिफारिश की
है। वहीं बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने कॉलेजों को बीटीसी की
संबद्धता देने के प्रस्ताव पर कुछ बिंदुओं को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। इन
कॉलेजों को संबद्धता मिलने पर प्रदेश में बीटीसी की कुल 54850 सीटें हो
जाएंगी। अभी सभी 70 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में बीटीसी की कुल
10450 और 702 निजी कॉलेजों में 35350 सीटें हैं।
बीटीसी : प्रवेश पर अनिर्णय से लटका नया सत्र, एससीईआरटी का प्रस्ताव शासन स्तर पर महीनों से लंबित
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
9:21 AM
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