आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच नहीं की तो रुकेगा अफसरों का वेतन : रिपोर्ट में सेल्फी को बतौर सुबूत करना होगा पेश
- आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच नहीं की तो रुकेगा अफसरों का वेतन
- किस अधिकारी को कितनी करनी है जांच
- जिला कार्यक्रम अधिकारी4 आंगनबाड़ी प्रति सप्ताह व एक परियोजना कार्यालय
- बाल विकास परियोजना अधिकारीसप्ताह में तीन दिन एवं छह आंगनबाड़ी
- मुख्य सेविकामाह में 18 दिन आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण
- जांच के दौरान केंद्रों के साथ सेल्फी लेनी जरूरी रिपोर्ट में सेल्फी को बतौर सुबूत करना होगा पेश
लखनऊ।
राज्य सरकार बदहाल आंगनबाड़ी केंद्रों की दशा सुधारने के लिए गंभीर हो गई
है। इसके लिए जिम्मेदार अफसरों को आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच करने के
निर्देश दिए हैं। यही नहीं जांच में लापरवाही बरतने पर उनका वेतन रोक दिया
जाएगा। अफसरों को न सिर्फ केंद्रों की जांच करनी जरूरी है बल्कि सबूत के
तौर पर उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र के साथ अपनी सेल्फी भी खींचनी होगी। इस
सेल्फी को जांच आख्या के साथ लगाना होगा।
अक्सर
आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाली की सूचनाएं आती रहती हैं। दूरस्थ इलाकों के
केंद्र तो खुलते ही नहीं हैं। इन केंद्रों की निगरानी के लिए पूरा सिस्टम
बना हुआ है लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण इसमें काम ही नहीं हो रहा है।
वहीं केंद्र पर कार्यरत कर्मियों व अफसरों की मिलीभगत के कारण स्थिति बद
से बदतर होती जा रही है। कई बार यह भी होता है कि एक अफसर जांच करने के बाद
अपनी रिपोर्ट में आंगनबाड़ी केंद्र ठीक ढंग से संचालित होने की बात करते
हैं। जबकि उसी आंगनबाड़ी केंद्र को जब दूसरे अफसर देखने जाते हैं तो उसे
बंद बताते हैं।
अब राज्य सरकार ने जिला
कार्यक्रम अधिकारियों से न सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने के
लिए कहा है बल्कि उन्हें बाल विकास परियोजना अधिकारी व मुख्य सेविकाओं के
स्थलीय निरीक्षण पर भी निगाह रखने की जिम्मेदारी दी गई है। वे प्रत्येक माह
निरीक्षण की समीक्षा भी करेंगे। जिला कार्यक्रम अधिकारी हर महीने की पांच
तारीख को अपनी व अन्य अधिकारियों की निरीक्षण आख्या निदेशालय जरूर भेजेंगे।
ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारी का वेतन रोक दिया जाएगा।
खबर साभार : अमर उजाला
आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच नहीं की तो रुकेगा अफसरों का वेतन : रिपोर्ट में सेल्फी को बतौर सुबूत करना होगा पेश
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:00 AM
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