केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने लिया फैसला, आठवीं तक के बच्चे भी किए जाएंगे फेल, च्चों के लिए लर्निग लेवल तय करने भी आमराय
📌 पांचवीं व आठवीं की बोर्ड परीक्षा का मुद्दा भी उठा, आठवीं तक के बच्चे भी फेल किए जाएंगे
📌 केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की उप समिति ने लिया फैसला
📌 फेल न करने की नीति से बच्चे पढाई में दिलचस्पी नहीं ले रहे
📌 बच्चों के लिए लर्निग लेवल तय करने भी आमराय
नई दिल्ली । केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की एक उप समिति ने आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव पर सहमति व्यक्त की है। राजस्थान के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर वासुदेव देवयानी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि मंत्रलय को यह भी सुझाव दिया जा रहा है कि पांचवीं व आठवीं में बोर्ड परीक्षा होनी चाहिए। समिति की बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है, जिसकी सिफारिश जल्द ही मानव संसाधन विकास मंत्रलय से की जाएगी।
दरसअल, केब की पिछली बैठक में आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव पर सहमति बनी थी। लेकिन इसकी प्रक्रिया और सभी राज्यों के विचार जानने के लिए देवयानी की अध्यक्षता में समिति बनी थी। समिति में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और ओडिशा के शिक्षा मंत्री शामिल हैं।समिति ने इस बारे में राज्यों से लिखित सुझाव मांगे थे। इनमें से 18 राज्यों ने लिखित रूप से सहमति जताते हुए मौजूदा नीति में बदलाव की हामी भर दी है। दरअसल, राज्यों का कहना है कि फेल नहीं करने की नीति से बच्चे पढ़ने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार ने शैक्षिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कक्षा पांच एवं आठ में केंद्रीयकृत मूल्यांकन प्रणाली (बोर्ड परीक्षा) फिर से लागू करने की वकालत की है। केब की उप समिति की बैठक में मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि उत्तराखंड का मानना है कि बोर्ड परीक्षा को फिर से लागू किया जाना चाहिए।
बैठक में सहमति बनी कि हर कक्षा के बच्चों के लिए एक लर्निग लेवल तय किया जाए और यदि बच्चे उसे हासिल नहीं कर पाते हैं तो उन्हें एक महीने के भीतर एक और मौका दिया जाए। यदि दोबारा भी वे लर्निग लेवल हासिल नहीं कर पाते हैं तो उन्हें उस कक्षा में रोक दिया जाए।
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