दूसरे बैच के शिक्षामित्रों को फिलहाल वेतन नहीं , सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई तक राहत देने पर विचार नहीं करेगी सरकार
लखनऊ । दूसरे बैच के समायोजित हो चुके 91 हजार शिक्षामित्रों के लिए फिलहाल वेतन नहीं मिलेगा। शासन ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई से पहले विचार न करने का फैसला किया है। इससे यह भी साफ हो गया है कि दूसरे बैच के उन शिक्षामित्रों को भी जल्द कोई राहत नहीं मिलेगी, जो अपने लिए नियुक्ति पत्र जारी करने की मांग कर रहे हैं।
प्रदेश में 1 लाख 32 हजार 442 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करके उनके लिए वेतन जारी कर दिया गया। राज्य सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौैती दी गई। इस पर 12 सितंबर 2015 को हाईकोर्ट ने सभी शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया।
तब तक दूसरे बैच के 91 हजार शिक्षामित्रों में से 77 हजार को भी सहायक अध्यापक का नियुक्ति पत्र जारी किया जा चुका था, पर दस्तावेज सत्यापित न हो पाने के चलते इन्हें वेतन जारी नहीं किया गया। वहीं बाकी 14 हजार शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं हो पाया था।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार के अलावा शिक्षामित्रों और उनके संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दायर की। बीती 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अगली सुनवाई तक स्टे दे दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने पहले बैच में समायोजित किए गए 1 लाख 32 हजार 442 शिक्षामित्रों को वेतन जारी करने का आदेश जारी कर दिया गया। इससे दूसरे बैच के शिक्षामित्रों में भी उम्मीद जगी और उन्होंने भी वेतन देने की मांग शुरू कर दी।
शासन के उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना है कि उनके मामले में कानूनी राय ली गई। कानून के जानकारों का कहना है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही नहीं ठहराया है और सिर्फ सुनवाई की अगली तारीख 24 फरवरी तक ही स्टे दिया है। इसलिए नियुक्ति पत्र जारी करने या पहली बार वेतन देने सरीखे निर्णय नहीं लेना चाहिए। शासन के सूत्रों का यह भी कहना है कि अब इस मामले में कोई निर्णय 24 फरवरी के सुप्रीम कोर्ट के रुख से ही तय होगा।
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