अब शिक्षक बने बिना पढ़ा सकेंगे मनपसंद विषय, विद्यांजलि’ योजना की हुई शुरूवात, इच्छुक सीधे अपनी पसंद के स्कूल में योगदान के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे
नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों के बच्चों के कौशल और व्यक्तित्व विकास में अब हम-आप जैसे वे लोग भी भागीदारी कर सकेंगे जो शिक्षक नहीं हैं। इसके लिए ‘विद्यांजलि’ योजना शुरू की गई है। जो भी इसके लिए इच्छुक हैं, वह सीधे अपनी पसंद की स्कूल में योगदान के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। मतलब यह कि औपचारिक तौर पर तो वे शिक्षक नहीं होंगे लेकिन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर व्यक्तित्व विकास तक में मददगार हो सकते हैं।
गुरुवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 21 राज्यों के 2200 स्कूलों से इस योजना की शुरुआत की है। इस साल के अंत तक देश के सभी स्कूलों को इससे जोड़ दिए जाने की तैयारी है। इस मौके पर स्मृति ने कहा कि लोगों को इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भाग लेना चाहिए और छात्रों को यह संदेश देना चाहिए कि वे अकेले नहीं हैं, बल्कि ‘टीम इंडिया’ का हिस्सा हैं। इस कार्यक्रम के तहत देश भर में नामी-गिरामी लोगों ने स्कूल जाकर अपना योगदान देना शुरू भी कर दिया है। गुरुवार को ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने विजयवाड़ा के एक स्कूल जाकर इस कार्यक्रम में भागीदारी की। इससे पहले क्रिकेट खिलाड़ी अनिल कुंबले, फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया और फिल्म अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना के अलावा केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़, बाबुल सुप्रियो और किरण रिजीजू भी इसमें शामिल हो चुके हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी स्कूलों का दौरा कर पहली से आठवीं तक के छात्रों के साथ संपर्क कायम किया है।
इस योजना को शुरू करने के पीछे एक सोच है। वह यह कि जो लोग अपने गांव या इलाके के सरकारी स्कूल के छात्रों को पढ़ाई में या उनके हुनर और व्यक्तित्व विकास में मदद करना चाहते हैं, उनकी इच्छा पूरी हो। इसमें स्कूल के पास के इलाके की पढ़ी-लिखी या हुनरमंद घरेलू महिलाओं से ले कर प्रवासी भारतीय तक कोई भी शामिल हो सकता है। सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षकों, सरकारी कर्मचारियों और सैन्य कर्मियों को खास तौर पर इसमें शामिल करने की योजना है। मंत्रलय ने साफ किया है कि यह वॉलंटियर सेवा है। इसे औपचारिक तौर पर होने वाली शिक्षकों की भर्ती के अतिरिक्त माना जाएगा और इसका मुख्य भर्ती पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस तरह की सेवा देने वाले लोगों पर मुख्य पाठ्यक्रम की जिम्मेवारी नहीं होगी।
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