नौनिहालों को मुफ्त किताबों के लिए करना होगा लंबा इंतजार, अभी तो जारी हो रहे हैं खरीद आदेश, ऐसे में अगस्त में ही मिल पाएंगी किताबें
लखनऊ। सूबे के नौनिहालों को मुफ्त किताबों के लिए अभी और इंतजार करना होगा। इन किताबों के लिए अभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा क्रय आदेश जारी किये जा रहे हैं। प्रकाशक किताबों को छापकर ब्लाक स्तर पर पहुंचाएंगे, इसके बाद ब्लाक संसाधन केन्द्र या फिर न्याय पंचायत केन्द्रों से होते हुए किताबें विद्यालयों में पहुंचेगी।
उम्मीद है कि आजादी का जश्न मनाने के बाद ही बच्चों के हाथों में किताबें आ सकेंगी। फिलहाल पढ़ाई सिर्फ मिड डे मील तक ही सीमित है।प्रदेश में हर वर्ष सरकारी, परिषदीय स्कूलों को मिलाकर करीब 200 करोड़ से ज्यादा की किताबें बांटी जाती हैं। प्रदेश सरकार ने सीबीएसई की तर्ज पर सरकारी व परिषदीय स्कूलों के शैक्षिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू कर दिया। स्कूल चलो अभियान चलाकर बच्चों को दाखिला देने के बाद 50 दिनों तक स्कूल खुले और जुलाई में भी एक पखवारा बीत गया लेकिन किताबें बच्चों तक नहीं पहुंची हैं। स्कूलों में शिक्षकों व विद्यार्थियों की हाजिरी के लिए शिक्षा महकमा कई जतन कर रहा है, लेकिन किताबें पहुंचने की ओर ध्यान नहीं है।
लखनऊ मण्डल की बात करें तो अभी सिर्फ दो जिलों ने ही किताबें खरीब के आदेश जारी किये हैं। वैसे भी किताबों की छपाई एक वर्ष पुराने आंकड़े पर होती है, तो जिन जिलों में छात्र संख्या में बढ़ोतरी होगी, उन्हें और इंतजार करना पड़ेगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि यही रफ्तार रही तो 15 अगस्त के बाद ही बच्चों के हाथों में किताबें आ सकेंगी।उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष बच्चों को किताबें जुलाई के अंत में ही मिल पायी थीं। इस वर्ष कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रकाशन नीति जारी करने को लेकर अदालतों में मामला लटका रहा आखिर एक बार प्रक्रिया रद होने के बाद दोबारा शुरू की गयी।
सूबे में पिछले वर्ष करीब डेढ़ लाख से ज्यादा प्राथिमक विद्यालयों में करीब एक करोड़ 92 लाख बच्चों के दाखिले हुए लेकिन इस बार और कमी आएगी। विभाग की लचर कार्यपण्राली के चलते तो अब सत्र बदलने को लेकर ही सवाल खड़े होने लगे हैं।
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