'बच्चे स्कूल न आएं तो शिक्षक घर बुलाने जाएं' बोले बेसिक शिक्षा मंत्री, लगाई अधिकारियों को फटकार, अच्छा काम करने वालों को सराहा
📢 बैठक में शिक्षामंत्री ने बीएसए की क्लास लगाई।
📢 शिविर लगा नए अध्यापकों की समस्या सुलझाएं
लखनऊ: बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने बुधवार को समीक्षा बैठक में बेसिक शिक्षा अधिकारियों की जमकर क्लास ली। उन्होंने कहा कि अगर बच्चा 4-5 दिन स्कूल नहीं आ रहा है तो शिक्षक और प्राचार्य की जिम्मेदारी है कि वे घर जाकर उनकी अनुपस्थिति की वजह पता करें। वजह का निवारण करा बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करें। साथ ही स्कूलों के शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाएं, जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल आएं।
आवास विकास परिषद स्थित सभागार में आयोजित बैठक में सभी अपर निदेशकों एवं बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने भाग लिया। बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि नए बेसिक शिक्षा अधिकारियों की नियुक्ति हुई है और बड़ी संख्या में शिक्षक भी तैनात हुए हैं। इसके बावजूद बच्चों तक सरकार द्वारा दी जा रही जरूरी सुविधाएं नहीं पहुंच रही हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों के निरीक्षण में बड़ी अव्यवस्था देखने को मिली। ये दुखद है।
बच्चों को बेहतर शिक्षा व सुविधाएं मुहैया कराना सीएम की प्राथमिकता में है। इसलिए उसे बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाए। बच्चे कुपोषण का शिकार न हों, इसलिए सीएम ने उनके लिए प्रत्येक सोमवार को मध्यान भोजन के तहत फल और बुधवार को दूध उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। इस बीच, अहमद हसन ने कानपुर की महिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के काम की प्रशंसा करते हुये अन्य अधिकारियों से सबक लेने को कहा। उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा कि अगली बैठक से पहले खुद में सुधार लाएं, नहीं तो दण्ड के लिये तैयार रहें।
सचिव बेसिक शिक्षा अजय कुमार सिंह ने बताया कि अब पर्याप्त मात्रा में प्रत्येक स्कूल में शिक्षक उपलब्ध हैं। शिक्षिकाओं के मैटेरनिटी लीव और चाइल्ड केयर लीव स्वीकृत करने का अधिकार बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दिया गया है। शिक्षिकाओं की लीव स्वीकृत करने के बाद उनकी सर्विस बुक में उसका रेकॉर्ड तुरन्त कर दिया जाये। उन्होंने कहा कि समस्त बेसिक शिक्षा अधिकारी ब्लॉक स्तर पर शिविर लगाकर नये नियुक्त अध्यापकों की समस्याओं का निराकरण कराएं। बैठक में राज्य मंत्री वसीम अहमद, कैलाश चौरसिया, सलाहकार बेसिक शिक्षा विभाग एवं समस्त अधिकारीगण मौजूद रहे।
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